मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया
अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ