रमज़ान का तीसरा अशरा रमज़ान के 21वें दिन से शुरू होता है और 29 या 30वें दिन ख़त्म होता है।
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                        रमजान का तीसरा अशरा बेहद अहम है। यह क्षमा मांगने पर ध्यान केंद्रित करने की अवधि है
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                        रमज़ान का तीसरा अशरा हमें अपनी भक्ति को गहरा करने और केंद्रित पूजा की शांति को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                        यह दया और क्षमा दिखाने का समय है
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                          इस अशरे में लैलातुल क़दर भी आता है जो हज़ार महीनों की रातों से बेहतर है।
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                        लैलतुल क़द्र इस्लामी कैलेंडर की सबसे पवित्र रात है। यह उस समय की याद दिलाता है जब पवित्र कुरान की पहली आयतें पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) को देवदूत जिब्रील द्वारा बताई गई थीं।
                    
        
                
       
        
      
            
                 
          
                    
                    
        
         
            
                        यह लोगों के धर्मार्थ दान (ज़कात) और दया के कार्यों को बढ़ाता है