चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है अगर मां जरूर देखी है

घर लौट के रोएंगे मां बाप अकेले में, मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में

किताबों से निकल कर तितलियां ग़ज़लें सुनाती हैं टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

मुद्दतों ब’अद मयस्सर हुआ मां का आंचल मुद्दतों ब’अद हमें नींद सुहानी आई

ए नींद मुझे मां की तरह अपनी बाहों में ले ले मैं समंदर की गहराइयों में उतरना चाहता हूं

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