अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम में बार-बार नेकी करने का हुक्म दिया है. अल्लाह तआला फ़रमाता है- “जिसने नेकी कमाई, तो अपने फ़ायदे के लिए ही कमाई.” (क़ुरआन 2:286)

“और तुम में से एक उम्मत ऐसी ज़रूर होनी चाहिए, जो लोगों को भलाई की तरफ़ बुलाए और अच्छे काम करने का हुक्म दे और बुराई से रोके और यही वे लोग हैं, जो कामयाबी पाएंगे. (क़ुरआन 3:104)

“ऐ मुसलमानो ! तुम बेहतरीन उम्मत हो, जो सब लोगों की रहनुमाई के लिए ज़ाहिर की गई है. तुम अच्छे काम करने का हुक्म देते हो और बुरे कामों से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो.” (क़ुरआन 3:110)

“फिर तुम अपने रिश्तेदारों और मिस्कीनों और मुसाफ़िरों को उनका हक़ देते रहो. ये उन लोगों के हक़ में बेहतर है, जो अल्लाह की ख़ुशनूदी चाहते हैं. और वही लोग कामयाबी पाने वाले हैं.” (क़ुरआन 30:38)

“और तुम्हारा फ़र्ज़ यह है कि नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो.” (क़ुरआन 5:2)

“क़यामत के दिन जो शख़्स एक नेकी लाएगा, तो उसके लिए दस नेकियां हैं.” (क़ुरआन 6:160)

“बेशक अल्लाह नेकी करने वालों का अज्र ज़ाया नहीं करता है.” (क़ुरआन 9:120)

“और बेशक अल्लाह उन लोगों के साथ है, जो परहेज़गार हैं और दूसरों पर अहसान करते हैं.” (क़ुरआन 16:128)

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