गंगा जल संग्रह – भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, या प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थलों से पवित्र गंगा जल एकत्र करते हैं।
नंगे पांव यात्रा – श्रद्धालु गंगा जल को कांवर में लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों तक नंगे पांव चलते हैं।
शिवमंदिरों में जलाभिषेक – शिवरात्रि या सावन के सोमवार को गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
'बोल बम' का जयघोष – यात्रा के दौरान भक्त "बोल बम", "हर हर महादेव" जैसे नारों से वातावरण भक्तिमय करते हैं।
सेवा शिविर और भंडारे – जगह-जगह स्थानीय लोग कांवड़ियों के लिए विश्राम, भोजन, दवा आदि की व्यवस्था करते हैं।
सावन सोमवार व्रत – इस दौरान भक्त सावन के हर सोमवार को व्रत रखते हैं और विशेष पूजन करते हैं।
शिवरात्रि पर चरम उत्सव – यात्रा का अंतिम चरण शिवरात्रि होता है, जब सबसे अधिक भीड़ और पूजा-पाठ होता है।
कांवड़ मार्गों की सजावट – कांवड़ मार्गों को विशेष रूप से सजाया जाता है और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होते हैं।
भक्ति संगीत और झांकियाँ – कई स्थानों पर भगवान शिव की झांकियाँ और भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते हैं।
अनुशासन और परंपरा – कांवड़ यात्रा में अनुशासन, पवित्रता और धार्मिक नियमों का विशेष पालन किया जाता है।