अपने सब यार काम कर रहे हैं और हम हैं कि नाम कर रहे हैं.

अब तो हर बात याद रहती है ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया.

अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैंने

उस गली ने ये सुन के सब्र किया जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं

एक ही तो हवस रही है हमें अपनी हालत तबाह की जाए

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं.

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

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