गणेश जी की हर मूर्ति का होता है एक अलग मतलब
पंचमुखी गणेश: गणेश चतुर्थी पर पंचमुखी गणेश जी की पूजा करने से माना जाता है कि विद्याओं की सिद्धि बिना बाधा के पूरी होती हैं.
हाथी पर बैठे गणेश: हाथी के ऊपर बैठे गणपति व्यक्ति को धन, यश और सम्मान देने के लिए जाने जाते हैं.
हरे रंग के गणेश: हरे रंग के गणपति को विवेक, बुद्धि और ज्ञान से जोड़कर देखा जाता है. गणेश चतुर्थी पर खासतौर पर पढ़ने वाले बच्चों को हरे रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
बांसुरी बजाते गणेश: गृह क्लेश की शांति के लिए घर में बांसुरी बजाते हुए गणेश जी की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है.
बाएं हाथ की ओर सूंड वाले गणेश: गणेश जी की सूंड बाएं हाथ की ओर होनी चाहिए. माना जाता है कि ऐसी मूर्ति से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
सीधी सूंड वाले गणपति: सीधी सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं. ऐसी मूर्ति से घर का माहौल खुशनुमा रहता है और सुख-शांति बनी रहती है.
दक्षिण मुखी सूंड वाले बप्पा: माना जाता है कि बप्पा की दक्षिण मुखी सूंड वाली मूर्ति की अगर पूजा सही विधि से की जाए तो यह मनोवांछित फल दे सकती है.
माना जाता है कि गणेश जी की दाईं और बाईं, दोनों ही सूंड का अपना एक अलग महत्व है.
दाईं ओर मुड़ी सूंड समृद्धि और प्रचुरता से जुड़ी हुई है
बाईं ओर मुड़ी सूंड बुद्धि और रचनात्मकता से जुड़ी हुई होती है.