शाहनवाज और इमाद : कश्मीर के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित करते दो युवक

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-11-2021
शाहनवाज और इमाद : कश्मीर के  दो युवक
शाहनवाज और इमाद : कश्मीर के दो युवक

 

रिजवान शफी वानी / श्रीनगर
 
कश्मीर के हस्तशिल्प में कई कलाएं शामिल हैं, लेकिन कालीन बुनाई को एक महत्वपूर्ण उद्योग माना जाता है.केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को किए गए उपायों और फिर कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात से उद्योग जगत को काफी नुकसान हुआ है. व्यवसायी और शिल्पकार इस मुसीबत का सामना करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं.

ऐसे में कुछ काबिल और होनहार युवा सामने आए हैं. वे उद्योग को संकट से उबारने और उसे एक नया जीवन देने की कोशिश में हैं. ये युवा कालीन बुनाई को पुनर्जीवित करने के लिए सुलेख और अन्य डिजाइन पेश कर रहे हैं.
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शाहनवाज अहमद और इमाद परवेज जैसे युवाओं ने पहली बार कालीनों में सुलेख और अन्य आकर्षक डिजाइन पेश किए हैं.
 
उनका कहना है कि कश्मीर में कालीन बुनाई विलुप्त होने के कगार पर है. इस तरह की पहल से न केवल उद्योग को पुनर्जीवित किया जाएगा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी प्रतिष्ठा भी बहाल होगी.शाहनवाज श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके से ताल्लुक रखते हैं. ललित कला में डिग्री के साथ कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, उन्होंने कालीनों पर सुलेख और नए डिजाइनों के साथ प्रयोग करना शुरू किया.
 
वे कहते हैं,‘‘मैं ललित कला से स्नातक हूं और मेरा पूरा परिवार इस कला में शामिल है.‘‘ उन्होंने आगे कहा,  ‘‘मैंने पारंपरिक डिजाइनों से कुछ अलग करने के बारे में सोचा. कालीनों पर सुलेख और विभिन्न डिजाइन बनाना शुरू किया और सफल रहा. खाड़ी देशों के उपभोक्ता इसे काफी पसंद कर रहे हैं. मैंने पुराने चलन को बदल दिया जिससे बहुत फायदा हुआ.
 
वे आगे कहते हैं,‘‘शिल्पकारों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. मैंने उनके लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया. बुनकरों को नई तकनीक सीखने में देर नहीं लगी. शिल्पकारों को सुलेखन सिखाया जाता है. उन्होंने मुझे यह भी सिखाया कि डिजाइन बनाने के लिए सोने और चांदी के धागों का उपयोग कैसे किया जाता है.
 
शाहनवाज का कहना है कि कश्मीर के हस्तशिल्प उद्योग का दुनिया में एक विशेष स्थान है. कालीन बुनाई का कश्मीरी हस्तशिल्प में एक प्रमुख स्थान है. लेकिन सरकार की असावधानी और नई पीढ़ी की रुचि की कमी के कारण उद्योग मर रहा है.
 
उन्होंने आवाज द वाॅयस से कहा, ‘‘आज, उद्योग अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है. हमने अब कालीनों पर सुलेख और अन्य विभिन्न डिजाइन पेश किए हैं. इसे स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पसंद किया जा रहा है. हाल के कॉर्पोरेट घोटालों के परिणामस्वरूप इस की मांग में काफी वृद्धि हुई है. मुझे बहुत सारे ऑर्डर मिल रहे हैं.
 
अगर हम कुछ अलग करते हैं, तो मुझे यकीन है कि उद्योग बढ़ेगा.वे कहते हैं, ‘‘सुलेख में रुचि रखने वाली युवा लड़कियों और लड़कों को इस पहल से बहुत लाभ होगा. उन्हें इसमें हाथ आजमाने का
अवसर भी दिया जा सकता है.पुराने शहर श्रीनगर के इमाद परवेज भी इस धंधे में शामिल हैं. इंडस्ट्री को जिंदा रखने की चाहत ने उन्हें इस काम की ओर खींच लिया.
 
इमाद कश्मीरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कालीन की एक नई शैली पेश करने की कोशिश कर रहे हं.
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इमाद के पास इटली में लग्जरी ब्रांड मैनेजमेंट की डिग्री है. अंतरराष्ट्रीय बाजार के चलन को देखते हुए इमाद का कहना है कि नए डिजाइन पेश करने से ही कश्मीरी कालीनों की मांग बढ़ सकती है. वे कश्मीर क्राफ्ट के साथ लग्जरी ब्रांड बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
 
उनका कहना है कि कालीन बुनाई उद्योग, जिसे कश्मीर के हस्तशिल्प उद्योग में ताज पहनाया गया है, मरने लगता है.
 
‘‘उद्योग में लोगों को डर है कि कश्मीर अपनी गौरवशाली पहचान खो देगा. हम इस कला को जीवित रखना चाहते हैं. हमने इसे बहाल करने के लिए यह पहल की है. इसे ऐसे लोगों से मिलना चाहिए जो इस कला के बारे में कुछ नहीं जानते. सुलेख और अलग डिजाइन पेश करने से युवा पीढ़ी भी उद्योग की ओर आकर्षित होगी.
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इमाद परवेज का कहना है कि कैलीग्राफी ने कालीनों की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं. हमारी नई पहल को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक और उत्साहजनक बताया जा रहा है.
उन्होंने कहा,‘‘मैं शाहनवाज से मिला. न केवल वह एक महान शिल्पकार हैं.उनके पास एक ऐसा उत्पाद बनाने का एक दृष्टिकोण है जिसे एक लक्जरी उत्पाद कहा जा सकता है. मैंने उनके साथ सहयोग किया और हम एक ब्रांड का निर्माण कर रहे हैं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी कश्मीरी हस्तशिल्प को नए तरीके से बाजार में लाना चाहते हैं.‘‘ कालीनों पर ये नई तकनीक और डिजाइन इस कला को नया जीवन दे रहे हैं. यह न केवल कौशल को बहाल करने में मदद कर रहा है, युवा पीढ़ी के लिए रोजगार भी पैदा करेगा.