NEET 2021 : घाटी के शाहिद फारूक उम्मीद की किरण बनकर उभरे

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 06-11-2021
 घाटी के शाहिद फारूक उम्मीद की किरण बनकर उभरे
घाटी के शाहिद फारूक उम्मीद की किरण बनकर उभरे

 

रिजवान शफी वानी/ श्रीनगर

माहौल बदला तो कश्मीर के दूर-दराज के इलाके से भी अच्छी खबरें आने लगी हैं. ऐसे ही अच्छी खबर के कारण बने हैं शाहिद फारूक बट. प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाके में रहने के बावजूद बदले माहौल का फायदा उठाया और अपनी मेहनत और परिवार के प्रोत्साहन से आज उन युवाओं में शामिल हुए हैं जिन्होंने नीट 2021की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है.

शाहिद फारूक बट जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के सुदूर इलाके लालपुरा के रहने वाले हैं.उनकी सफलता ने परिवार और रिश्तेदारों में उमंग भर दिया है. दोस्तों और रिश्तेदारों से मिल रही बधाइयों का तांता अब तक रुका नहीं है.

शाहिद फारूक बट नीट में सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाई को देते हैं.उनका कहना है,‘‘ माता-पिता और भाई ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.उनके सहयोग के बिना कामयाबी संभव नहीं थी.

kashmiri

वह अपने बड़े भाई को आदर्श मानते हैं. बड़े भाई लेक्चरर हैं. उन्होंने इन्हें कश्मीर के भटकाव भरे माहौल की ओर कभी रूख करने नहीं दिया. हमेशा बढ़ा में बेहतर करने की प्रेरणा देते रहे. इसके लिए बार बार प्रोत्साहित किया. उनकी कड़ी मेहनत और मुझमें आत्मविश्वास जगाने का परिणाम है कि मैंने अच्छे अंकों के साथ नीट परीक्षा पास करने में कामयाब रहा.

शाहिद फारूक ने 720में से 660अंक हासिल किए हैं. छोटी उम्र से डॉ. बनकर गरीबों की मदद करने की चाहत थी.बट बताते हैं कि नेट की पहली कोशिश में वह नाकाम रहे थे. तब उन्हें बहुत मायूसी हुई. बाद मंे मेरे परिवार वालों ने हौसला बढ़ाया. प्रोत्साहित किया. मुझे निराश के भंवर से बाहर निकाला. तभी संकल्प ले लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए नीट निकाल कर रही रहूंगा.

नीट की तैयारी के लिए समय सारणी बनाई. उसका पालन किया. दिन में 7घंटे से अधिक पढ़ाई की. अल्लाह का शुक्र है कि इन कोशिशों और परिवार के प्रोत्साहन से दूसरे प्रयास में ही परीक्षा क्वालीफाई कर लिया.

शाहिद फारूक आत्मविश्वास, लगन और कड़ी मेहनत में विश्वास रखते हैं. उनका कहना है कि किसी भी काम में सफलता के लिए लगन जरूरी है. तब आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं.ऐसे तमाम उदाहरण इतिहास में मिलते हैं. महानुभावों की दिनचर्या में निरंतरता थी. आइंस्टीन कई बार असफल हुए, लेकिन कोशिश करना बंद नहीं किया. परिणाम हमारे सामने है.

शाहिद फारूक बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा  उन्होंने   अपने ही क्षेत्र में की. उनके पिता पुलिस में हैं. शाहिद कहते हैं, हमें अपनी छोटी सी दुनिया में संतुष्ट रहना बंद करना होगा. लक्ष्यों और गंतव्यों को खोजने के लिए आगे बढ़ना होगा. अगर मैं इसे हासिल कर सकता हूं, तो कश्मीर का कोई भी छात्र ऐसा कर सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर घाटी के युवाओं में देश के अन्य छात्रों की तरह ही बेहतर क्षमता है. हमारे पास वह सुविधाएं नहीं हैं,ं जो अन्य के पास हैं. कश्मीर जैसे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले छात्रों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित कर सकते हैं.

बेटे की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए शाहिद के पिता फारूक अहमद ने कहा कि यह हमारे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है.उन्होंने कहा कि मानव श्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता. बस, संघर्ष जारी रखने की शर्त है. सफलता एक न एक दिन कदम चूमती ही है. युवाओं को इससे सीख लेनी चाहिए. शिक्षा के क्षेत्र में कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए.