यूक्रेन युद्ध क्षेत्र से जहां दिल छूने वाली कहानियां सामने आ रही हैं, वहीं कई दिलचस्प किस्से भी देखने-सुनने को मिल रहे हैं. अभी यूके्रन में फंसे उत्तर प्रदेष के दो दोस्तों का सौहार्दपूर्ण वाक्या सामने आया था. उनमें से एक ने दूसरे के लिए फ्लाईट छोड़ दी थी. अब पाकिस्तान को लेकर दिल को छूने वाली एक कहानी सामने आई है. एक पाकिस्तानी भारतीयों के लिए मसीहा बन गया.
बताते हैं जब टीम एसओएस इंडिया के संस्थापक नीतीश सिंह यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने लगे तो उन्हें समझ में ही नहीं आया कि छात्रों को युद्ध से निकाल कर कैसे उनके घर भेजा जाए. वो केवल इतना जानते थे कि भारतीय छात्रों को हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया या रोमानिया की सीमाओं तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त बसों और कारों की आवश्यकता होगी.
इसके लिए उन्होंने टूर ऑपरेटरों की मदद से बस की व्यवस्थित करने की कोशिश की, लेकिन किसी कामयाब नहीं हुए. इसी बीच यूक्रेन निवासी एक पाकिस्तानी नागरिक मोअज्जम खान उनके संपर्क मंे आए.
नीतीश सिंह बताते हैं, इन प्रयासों के बीच उनकी मुलाकात मोआजम खान नाम के एक पाकिस्तानी से हुई. जैसे भगवान ने उनके लिए फरिष्ता भेज दिया हो. मोआजम खान ने भारतीय छात्रों की भरपूर मदद की. बदले में एक भी डॉलर नहीं लिया. जिनके पास देने को कुछ नहीं था, पाकिस्तानी ने उन्हें पैसे भी दिए.
2500 भारतीयों को युद्ध क्षेत्र से निकाला
मोअज्जम खान का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन में विभिन्न स्थानों में फंसे 2500भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था की. इसकी वजह से भारतीय छात्र उन्हें मसीहा कहने लगे हैं. उन्होंने बताया,
‘‘जब मैंने भारतीय छात्रों के पहले बैच को युद्ध क्षेत्र से निकाला, तो मुझे नहीं पता था कि संकट इतना बड़ा है.‘‘ मोअज्जम ने यूक्रेन के ट्रेंपोल इलाके में मीडिया को बताया, इस दौरान मेरा मोबाइल नंबर कई भारतीय व्हाट्सएप पर वायरल हो गया. फिर तो मुझे आधी रात में भी बचाव कार्यों के लिए नॉन-स्टॉप फोन कॉल आने लगे. वह बताते हैं, आज तक मैंने युद्ध क्षेत्र से 2500भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला है.
इंजीनियरिंग कर बने टूर ऑपरेटर
मोअज्जम 11 साल पहले यूक्रेन आए थे. उनके बड़े भाई की शादी यूक्रेन के एक नागरिक से हुई है. इस्लामाबाद के पास तारबेला छावनी क्षेत्र के रहने वाले मोअज्जम ने यूक्रेन में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. फिर यूक्रेन में ही बस टूर ऑपरेटर व्यवसाय शुरू करने के लिए सिविल इंजीनियर का अपना करियर छोड़ दिया.
भारतीय हैं उनके दोस्त
पाकिस्तान में जन्मे मोअज्जम खान का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले से ही वह कई भारतीयों के दोस्त रहे हैं. उन्होंने कहा, इन 11वर्षों में, मैंने टर्नपोल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में कई दोस्त बनाए . उनमें से कई पास आउट हो चुके हैं और भारत लौट गए हैं. वे अब भी मेरे संपर्क में हैं और हमारी अच्छी दोस्ती है.
मोअज्जम के अनुसार, भारतीयों के साथ सामान्य भाषा संबंध होने से राहत मिलती है. वे तुरंत संपर्क में आ जाते हैं. मोअज्जम का कहना है कि यूक्रेन में किसी भी विदेशी के लिए बातचीत करना बड़ा कठिन है. यहां के लोग केवल यूक्रेनी या कुछ रूसी बोलते हैं.अंग्रेजी शायद ही कोई बोलता है. मैं उर्दू बोलता हूं और अधिकांश भारतीय छात्र हिंदीं. इस की वजह से हमें तुरंत कनेक्षन बन जाता है.वह कहते हैं, हिंदी और उर्दू लगभग समान भाशा है. इस वह से भी हम एक दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं.
बता दें कि हंगरी और स्लोवाकिया ट्रैंपोल से 5 घंटे की दूरी पर है, जबकि रोमानिया 3 घंटे की दूरी पर और पोलैंड ढाई घंटे की दूरी पर.