दो कश्मीरी युवकों ने एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा
एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा

 

साजिद रसूल / श्रीनगर

कश्मीर से एक और अच्छी खबर आई है. एवरेस्ट पर अब नई तस्वीर में कश्मीरी युवाओं की ऊंची उड़ान भरते नजर आ रही है. ये कश्मीरी युवाओं के प्रोत्साहन की एक नई कहानी हैं, जिसमें दो पात्र सामने आए हैं. एक हैं दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले का महफूज और दूसरा है कूपवाड़ा का युवा सिपाही मुहम्मद इकबाल खान. कश्मीर के इन युवकों ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है.

दोनों युवक जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग की साझेदारी में माउंट एवरेस्ट समिट का हिस्सा थे.

उनका प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर के लिए खास माना जाता है. युवाओं को लेकर इन दिनों कश्मीर से बहुत ही सकारात्मक खबर आ रही है. कोई कश्मीर से कन्या कुमारी तक साइकिल से यात्रा कर रहा है, तो कोई श्रीनगर से दिल्ली तक पैदल यात्रा कर रहा है. नई पीढ़ी को रिकॉर्ड तोड़ने का जुनून सवार है.

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के महफूज आलम ने कुपवाड़ा के सिपाही मुहम्मद इकबाल खान और पांच अन्य पर्वतारोहियों के साथ एवरेस्ट पर चढ़ाई कर इतिहास रच दिया है. इसी तरह सेफ आलम यह इतिहास रचने वाले पहले कश्मीरी पुरुष नागरिक बने.

मिशन की शुरुआत

टीम अपनी यात्रा के लिए अप्रैल 2021 को दिल्ली से रवाना हुई और 1 जून 2021 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके बेस कैंप लौट आई. जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, पहलगाम लौटने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया.

बचपन से था पागलपन

महफूज के लिए यह उपलब्धि एक सपने के सच होने जैसा था. उनकी आंखों ने बचपन से ही ऊंची चोटियों को देखा था. उनके मन में इस पर चढ़ने का विचार था. पर्वतारोही बनने के लिए उन्होंने उन्नत पर्वतारोहण और ट्रेकिंग कोर्स किया, जिसके बाद वे जवाहरलाल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में चर्चा प्रशिक्षक बन गए और सौभाग्य से उन्हें माउंट एवरेस्ट पर जाने वाली टीम के लिए चुना गया, जो उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है.

बहुत देर हो चुकी है

अब बदलते हालात में एक बात साफ हो गई है कि कश्मीरियों की नई पीढ़ी बस मौकों का इंतजार कर रही थी. युवा हर क्षेत्र में अपना दम दिखा रहे हैं. कश्मीरी युवा हर क्षेत्र में फैल रहे हैं. विद्वानों का कहना है कि युवाओं में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन इन प्रतिभाओं को विकसित करने की बहुत आवश्यकता है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/162402541870_Kashmiri_youths_hoisted_tricolor_on_Everest_2.jpg

 

महफूज, सैन्य हवलदार इकबाल खान के साथ पांच अन्य सदस्य थे. इकबाल खान के अनुसार, यात्रा कठिनाइयों से भरी थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन करने की भावना ने उनके हौसले को कम नहीं किया और वह अंततः देश के विभिन्न हिस्सों के पर्वतारोहियों के साथ एक कठिन लक्ष्य पर निकल पड़े.

कर्नल थापा के नेतृत्व में

कर्नल ओएस थापा के नेतृत्व में कर्नल अमित बिष्ट और अन्य सदस्यों के साथ उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का लक्ष्य हासिल किया. कर्नल थापा जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स के प्रिंसिपल भी हैं. वे पहली बार, राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ दो राष्ट्रीय संस्थानों के झंडे एक अंतरराष्ट्रीय शिखर पर फहराए गए. टीम में छह सैनिक शामिल थे, जबकि महफूज इलाही टीम में एकमात्र नागरिक थे.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के साथ माकपा नेता मुहम्मद यूसुफ तारिगामी ने महफूज और इकबाल खान को बधाई दी है और उन्हें कश्मीर की असली पहचान बताया है.