कश्मीर के युवा ने बुरी आदतों से बचने के लिए 58 दिनों में लिख दी पवित्र कुरान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 14-04-2021
आदिल नबी मीर
आदिल नबी मीर

 

एहसान फाजिली / श्रीनगर

श्रीनगर में जब ज्यादातर लोग पिछले दो वर्षों से घर के अंदर रहने को मजबूर थे. सबसे पहले अनुच्छेद 370, उसके बाद अगस्त 2019 की समाप्ति तक प्रतिबंध  और फिर पिछले साल मार्च से कोविड-19 लॉकडाउन ने लोगों को पूरी तरह से घरों में कैद कर दिया था. इस दौरान विशेष रूप से छात्रों और बड़े पैमाने पर युवाओं को कड़ी चोट लगी, क्योंकि तक इंटरनेट भी ठप हो गया था. ऐसे हालात में 27 वर्षीय आदिल नबी मीर के लिए यह एकमात्र मौका था कि बुरी आदतों और संगत से दूर रहने के लिए वह पवित्र कुरान की कथा की ओर आकर्षित हों.

निशात के ईसबर निवासी आदिल नबी ने 2016 में इस्लामिया कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स से विज्ञान में स्नातक किया. छात्र, युवा और ज्यादातर लोग बिना किसी दिनचर्या के घरों में रह रहे थे और प्रसिद्ध डल झील ही आशा का केंद्र थी. आदिल को यह कहावत याद थी कि ‘खाली दिमाग, शैतान का घर’. इसलिए जब अधिकांश युवा बेरोजगार थे, तो बुरी संगत और आदतों से बचने के लिए उन्होंने कुछ नया करने की सोची. उन्हें उन शिक्षित युवाओं की दुर्दशा ने नया मोड़ दिया, जो रोजगार प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन हालात विपरीत होने के कारण वे ड्रग्स और शराब जैसी बुरी आदतों के आदी हो गए.

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हस्त लिखित पवित्र कुरान

आदिल ने आवाज-द वॉयस को बताया, “मुझे अपने हाथों से पवित्र कुरान लिखने का विचार आया.” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें पवित्र पुस्तक को याद करने वाले दूर-दराज के छोटे लड़कों की रिपोर्टों ने यह प्रेरणा दी. उन्होंने कहा, “अगर वे मेरी उम्र का लगभग आधा हिस्सा हैं और पवित्र पुस्तक को (हाफिज कुरान बनने के लिए) याद कर सकते थे, तो मैं इसे क्यों नहीं लिख सकता था.” कुरान को याद करना ‘पवित्र सम्मान’ माना जाता है और उसे हाथ से लिखना भी उतना ही पवित्र और आनंदित माना जाता है.

इस प्रकार, उन्होंने पवित्र पुस्तक को लिखना शुरू कर दिया, लेकिन वह अरबी आयतों को लिखते समय वह प्रशिक्षण के अभाव में सहज नहीं थे. आदिल ने कहा, “शुरुआत में बहुत गलतियां हुईं और एक स्थिति ऐसी आई, जब मैंने इस विचार को छोड़ने की सोची.” उनके माता-पिता प्रोत्साहित करने के लिए हमेशा उनके साथ खड़े थे, उन्होंने उनसे प्रेरणा लेकर आखिरकार आगे बढ़ने और पीछे मुड़कर नहीं देखने का संकल्प लिया. परियोजना को पूरा करने के लिए यह यात्रा 27 जनवरी को शुरू हुई थी और इसे 58 दिनों में पूरा किया. उन्होंने शुक्रवार 26 मार्च, 2021 को पूरा सेट तैयार कर दिया.

आदिल ने खुद को परिश्रम और समर्पण के साथ पंच शीट्स पर पवित्र लिपि की नकल करने में व्यस्त रखा. आदिल ने विस्तार से बताया, “जिस पवित्र कुरान से मैंने इसे कॉपी किया था, उसमें 614 पृष्ठ हैं और मैंने इसे 598 पृष्ठों पर लिपिबद्ध किया, क्योंकि मेरी पंच शीट्स की एक लाइन अतिरिक्त थी.”

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हस्त लिखित पवित्र कुरान

यद्यपि आधुनिक तकनीक के कारण हस्त-लेखन कम्प्यूटरीकृत लिपियों तक परिदृश्य बदल गया है, लेकिन उर्दू, फारसी और अरबी में बुनियादी सुलेख काय जारी है. अपने शौक को पूरा करने के लिए अरबी सुलेख में प्रशिक्षण के लिए आदिल की खोज ने भी ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों की आवश्यकता को जन्म दिया है. उन्हें आगे के प्रशिक्षण के लिए श्रीनगर के कर्ण नगर में अरबी लेखन के लिए अलिफ (उर्दू, फारसी, अरबी वर्णमाला का पहला अक्षर) संस्थान मिल गया है. वह युवाओं से बुरी आदतों से दूर रहने और समग्र कल्याण के लिए एक धार्मिक मार्ग अपनाने की प्रार्थना करते हैं. अल्ला इकबाल की कविता ‘मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको, नेक जो राह उसी राह पे चलाना मुझको’ आदिल के मोबाइल पर कॉलर ट्यून है, जो उनकी इच्छाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है.