इस्माइल हुसैनः साहित्य और संस्कृति से जातियों-धर्मों को कर रहे एकजुट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-04-2022
इस्माइल हुसैन
इस्माइल हुसैन

 

मुकुट शर्मा / गुवाहाटी

असम के प्रख्यात लेखकों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों में से एक इस्माइल हुसैन देश में विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच एकता और सद्भाव के पुल बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. इस्माइल हुसैन एक कुआं हैं और एक प्रसिद्ध लेखक हैं, जिन्होंने शंकरी कला-संस्कृतिक के लिए 19, असमिया प्राण के अपोन बिहुक के लिए एक, असम के चार-छपारी लोक-साहित्य और संस्कृति के लिए 6, हिंदू-मुस्लिम समन्वयक के लिए 2, हजरत अजनपीरक और बारो-मिचिंग के लिए 2, राजबंशिक के लिए 1, 1 भावना-मक्खन नाटक के लिए, 2 शरणिया कचारिक के लिए और अब तक कुल 108 पुस्तकें लिखी हैं.

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इसी प्रकार अल्पसंख्यकों में बिहू के प्रचार-प्रसार के लिए वह अपने गृहनगर बारपेटा जिले में हर साल बहाग महीने के पहले दो दिनों में बिहू प्रतियोगिता और बिहू कार्यशाला का आयोजन करते रहे हैं. इस कार्यक्रम में इस्माइल हुसैन इस्लाम के अनुयायियों को शुद्ध बिहुनम और बिहू नृत्य प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.

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बिहू नृत्य और ताल बजा रहे हैं इस्माइल हुसैन


इस्माइल हुसैन कहते हैं, ‘‘मैं कायाकुचित, बारपेटा जिले में पैदा हुआ था. हर साल रास महोत्सव आयोजित करने की परंपरा थी. हम बचपन में उस रास को देखते थे. हम बचपन से ही रामचंद्र और कृष्ण पर मोहित हो गए हैं. उन्हें लगा कि वे प्रतीक थे हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के.’’

उन्होंने कहा, ‘‘भले ही हम मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन हमारे समाज ने कभी अरब की कहानी पर आधारित नाटक नहीं देखा है. वह कहानी हमारे समाज से भी संबंधित नहीं है. हम बचपन से ही भारतीय संस्कृति, असमिया संस्कृति में डूबे हुए हैं. ऐसा भौगोलिक वातावरण हमारे क्षेत्र के लोगों ने मेरे मन में एकता के बीज बोए हैं.’’

इस्माइल हुसैन का जन्म 22 फरवरी, 1975 को असम राज्य के बारपेटा गांव में हुआ था. वह वर्तमान में जोरहाट में प्रसिद्ध प्रिंस वेल्स इंजीनियरिंग संस्थान के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं.

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उस समय की तस्वीर जब इस्माइल हुसैन ने सेवा की


इस्माइल हुसैन के नेतृत्व में चांदसाई भवन समूह राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपने पारंपरिक कमलाबाड़ी सत्र, औनियाती सत्र और भावना प्रदर्शनों से दर्शकों को प्रभावित करने में सक्षम था. खासकर उनके नाटक ‘रामबिजय’ और ‘पारिजात हरण’ ने दर्शकों के दिलों को छुआ. चांदसाई भावना दल के सदस्य इस्माइल हुसैन, सूरज खान, मोजाम्बिल हुसैन, जाकिरुल इस्लाम, अजगर अहमद, फजल अली अहमद, चाजू अहमद, मुस्ताक अहमद, अजीमुद्दीन अहमद और अन्य हैं.

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इस्माइल हुसैन का बिहू नृत्य करते हुए एक क्षण


‘‘उदय के बीच उत्साह का माहौल था कि पहली बार इस्लामी धर्म का एक युवक था, जिसने शपथ ली थी निष्ठा की. यह पहली बार है, जब मैंने एक पिंजरे में एक गिलहरी को एक गिलहरी तक ले जाते हुए देखा है. यह पहली बार है कि मैं यह करने में सक्षम रहा हूं. पार्टी का नाम शंकरदेव के एक मुस्लिम शिष्य चांदसाई के नाम पर रखा गया है. यह पहली बार है जब मैंने इस विषय पर कोई पुस्तक पढ़ी है.’’