भारतीय मूल के परोपकारी डॉ. इम्तियाज सुलीमन चुने गए ‘साउथ अफ्रीकन ऑफ द ईयर’

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 27-12-2021
डॉ इम्तियाज सुलीमन
डॉ इम्तियाज सुलीमन

 

जोहान्सबर्ग. भारतीय मूल के परोपकारी और आपदा राहत समूह ‘गिफ्ट ऑफ द गिवर्स’ के संस्थापक डॉ इम्तियाज सुलीमन ने डेली मावेरिक अखबार द्वारा संचालित प्रतिष्ठित साउथ अफ्रीकन ऑफ द ईयर अवार्ड जीता है.

पूरे बोर्ड में दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने सुलीमान के लिए मतदान किया, उप मुख्य न्यायाधीश रेमंड जोंडो को दूसरे स्थान पर रखा. जोंडो राज्य के कब्जे में जांच आयोग का प्रमुख है, जो राज्य के अंगों सहित सार्वजनिक क्षेत्र में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की जांच करता है. सुलीमन ने शुक्रवार को केप टाउन में अल कुद्स मस्जिद में अपने स्वीकृति भाषण में, दुनिया भर के मुसलमानों से इस्लामोफोबिक धारणाओं को बदलने के लिए सभी समुदायों की देखभाल करने का आह्वान किया.

तुर्की में अपने धार्मिक गुरु द्वारा 1994 में ऐसा करने के लिए कहने के बाद सुलीमान ने ‘गिफ्ट ऑफ द गिवर्स’ शुरू किया. तब से, धर्मार्थ और राहत संगठन ने भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ युद्धग्रस्त देशों में लोगों की सहायता के बाद 44से अधिक देशों में राहत कार्य किया है.

मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप और अफ्रीका के कई देशों के अलावा, ‘गिफ्ट ऑफ द गिवर्स’ टीमों ने भी भारत और पाकिस्तान में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता की है. लगभग पूरी तरह से दान और मुसलमानों द्वारा भुगतान किए गए अनिवार्य ‘जकात’ कर पर भरोसा करते हुए, ‘गिफ्ट ऑफ द गिवर्स’ ने मोबाइल अस्पतालों, बोरहोल खोदने और फूड हैम्पर्स से लेकर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में लगभग 4 बिलियन रैंड (26 करोड़ डॉलर) की सहायता प्रदान की है.

डॉक्टर ने बताया कि कैसे तुर्की में उनके धार्मिक नेता ने उन्हें ‘वक्फुल वकिफिन’ संगठन स्थापित करने का निर्देश दिया था, जिसका अरबी में अर्थ ‘दाताओं का उपहार’ होता है.

मेडिसिन प्रैक्टिसनर सूलीमन ने याद किया, ‘मेरे बेटे शेख ने कहा, तुम सभी लोगों की, सभी धर्मों के, सभी रंग, सभी संस्कृतियां, सभी वर्ग, किसी भी भौगोलिक स्थान और किसी भी राजनीतिक संबद्धता के, सभी जातियों के लोगों की सेवा करोगे, लेकिन आप बिना शर्त उनकी सेवा करेंगे. आप बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं करेंगे, यहां तक कि धन्यवाद भी नहीं.’

उन्होंने कहा, ‘जब हम अपना काम करने के लिए किसी क्षेत्र में जाते हैं, तो हम उनकी विश्वास प्रणाली को नहीं देखते हैं. चाहे वे हिंदू हों, मुस्लिम हों या ईसाई, चाहे वे कुछ भी हों, हम किसी के बारे में यह सोचकर निर्णय नहीं लेते.’

सुलीमन ने कहा, ‘यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका के लोगों को मिला, जिन्होंने विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, ऐसे लोगों को वोट दिया, जिनकी कोई आस्था भी नहीं है, लेकिन वे सभी मुझे वोट देने के इच्छुक थे.’

सुलीमन को उनके कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है. उन्होंने पिछले कई दशकों में कई पुरस्कार और प्रशंसा जीते हैं. संकट के समय में उनके संगठन की सहायता के लिए दक्षिण अफ्रीकी और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों द्वारा सराहना की जाती है.

सुलीमन को दक्षिण अफ्रीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नेशनल ऑर्डर’ भी मिला है और इस वर्ष की शुरुआत में पश्चिमी केप प्रांत में स्टेलनबोश विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक न्याय चैंपियन नामित किया गया था.

सुलीमन ने कहा कि यदि सभी मुसलमान अपने साथी नागरिकों की देखभाल के इन सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, तो यह इस्लामोफोबिया और इस धारणा के उन्मूलन की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा कि इस्लाम आतंकवाद का समर्थन करता है.

सुलीमन ने उन संगठनों की निंदा की, जो केवल मुस्लिम देशों में राहत प्रयासों का समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें केवल फिलिस्तीनी केवल सीरियाई, केवल इराक केवल अफगानिस्तानी नहीं कहना चाहिए. हम हर क्षेत्र में जाते हैं, उसी दर्द, कठिनाई और चिंता को देखने के लिए जो हमारे पास है. वे आपको कभी नहीं भूलेंगे कि मुसलमान अच्छाई लेकर आए हैं.’

सुलीमन ने गिफ्ट ऑफ गिवर्स की ओर से जरूरतमंदों को क्रिसमस पार्सल सौंपने के लिए अपनी सुविधाओं का उपयोग करते हुए केप टाउन में एक मस्जिद का उदाहरण दिया. उन्होंने निष्कर्ष में कहा, ‘संबंध बनाने का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता.’