बड़ा सपना देखना और हासिल करना कर्तव्य है कहती हैं फैशन प्रतियोगिताओ की आयोजक तबस्सुम हक

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 15-06-2022
फैशन प्रतियोगिताओ की आयोजक तबस्सुम हक
फैशन प्रतियोगिताओ की आयोजक तबस्सुम हक

 

शाइस्ता फातिमा/ नई दिल्ली

अक्सर कहा जाता है कि किस्मत बहादुरों का साथ देती है, कुछ ऐसा ही तबस्सुम हक के साथ हुआ. तबस्सुम पहले पत्रकार थीं और अब विभिन्न आयु वर्गों में विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करती हं. उन्हें दक्षिण कोरियाई में एक रूसी सौंदर्य प्रतियोगिता में एक प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया गया है. वह जमीन से जुड़ी और विनम्र इंसान हैं.

आवाज- द वॉयस के साथ टेलीफोन पर हुए साक्षात्कार में वह कहती हैं, "डार्लिंग, मैं दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करनेवाली हूं और यहां मैं 2017 से मिसेज यूनिवर्स के लिए राष्ट्रीय निदेशक हूं."

दिल्ली में जन्मी नए जमाने की उद्यमी तबस्सुम हक हिम्मतवाली और जोश से भरी महिला हैं और उनकी कहानी वास्तव में कई लोगों के लिए एक प्रेरणा है. एक सामान्य पृष्ठभूमि के परिवार से आने वाली तबस्समु कहती हैं, "कई युवा माताओं ने, जिन्होंने अपने बच्चों के साथ भाग लिया, ने मुझे मिसेज दिल्ली-एनसीआर नामक एक कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया."

मिसेज दिल्ली-एनसीआर विजेता के साथ तबस्सुम हक

आज दो बच्चों की मां तबस्सुम, डैज़ल मिस एंड मिसेज एशिया, डैज़ल मिसेज इंडिया यूनिवर्स, डैज़ल मिस एंड मिसेज़ इंडिया इंटरनेशनल, डैज़ल मिस एंड मिसेज़ इंडिया वर्ल्ड, डैज़ल मिस और मिसेज़ साउथस इंडिया, डैजल मिस एंड मिसेज नॉर्थ इंडिया, डैजल मिस एंड मिसेज वेस्ट इंडिया, डैजल मिस एंड मिसेज ईस्ट इंडिया, डैजल मिस एंड मिसेज दिल्ली एनसीआर, डैजल मिस एंड मिसेज तेलंगाना जैसे शीर्षकों के तहत 14 से अधिक सौंदर्य प्रतियोगिताओं की निदेशक हैं.

उनकी हालिया उपलब्धि "मिस एंड मिसेज यूनाइटेड नेशंस" है, एक ऐसा खिताब जिसे वह विभिन्न यूरोपीय और एशियाई देशों में आयोजित करने की इच्छा रखती है. डैज़ल के अलग-अलग खिताबों से अपने चार विजेताओं के साथ फख्र से भरी लीडर, तबस्सुम उनके बारे में बहुत कुछ कहती हैं, "मेरी लड़कियां मेरा गौरव हैं, मंजूषा, मंजुला, सुचिता, यामिनी-विभिन्न पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन उनके मन में कुछ हासिल करने की चाहत है..."

सिओल में जिस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए तबस्सुम जाने वाली हैं वह 22 जून से आयोजित होना है और इसका फाइनल 3 जुलाई को होगा और इसमें 100 से अधिक देशों से प्रतिभागी फाइनलिस्ट के रूप में शामिल होंगी. वह आगे कहती हैं, "हमें दक्षिण कोरिया में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने पर बहुत गर्व है. और ऊपरवाले की इनायत रही हमारी कोशिशें रंग लाएंगी..."

एक मुस्लिम परिवार में जन्मीं तबस्सुम ने शिक्षा को सफलता की राह के रूप में चुना. वह कहती हैं, "मैं एक बहुत ही साधारण और सामान्य लड़की रही हूं जो अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहती थी." वह हर तरह से अपने परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक कद में सुधार करना चाहती थी.

तबस्सुम कहती हैं, "मेरी माँ अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सकीं, और यह शिक्षा के लिए उनकी तरफ से हमें बिला शर्त समर्थन की एक प्रमुख प्रेरक शक्ति बन गई."

तबस्सुम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुंदरी कॉलेज से स्नातक और स्नातकोत्तर पूरा किया और बाद में दक्षिण दिल्ली पॉलिटेक्निक, नई दिल्ली से पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की. वह कहती हैं, "पत्रकारिता ने मुझे पूरी तरह से बदल दिया, इसने मुझे आसमान से ऊपर उठने के लिए पंख दिए."

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से की थी और उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. निजी जिंदगी में प्यार ने तबस्सुम के जीवन को एक सुखद बयार की तरह छुआ, जो और भी उज्जवल भविष्य का वादा कर रहा था, लेकिन उस अनदेखी जीवन की राह खतरनाक थी. वह बताती हैं, "बचपन में हर बुनियादी सुविधा के लिए संघर्ष करते हुए, मैंने पहले ही एक सांसारिक जीवन का विचार छोड़ दिया था, मुझे रिश्तों के बाद जीवन बर्बाद करने या किसी समुदाय को बेहतर बनाने की कोशिश करने का मन नहीं था."

तबस्सुम ने अपने जीवन की कमान खुद संभालने का फैसला किया, और अपने लिए एक ऐसी जगह बनाई, जिसे याद किया जा सके. इस बीच एक जाने-माने पत्रकार सुबोध जैनने उनके जीवन में प्रवेश किया था, एक सहज संबंध विकसित हो रहा था लेकिन फिर अंतर-धार्मिक पहलू कुछ ऐसा था जो बड़े पैमाने पर दुनिया को स्वीकार्य नहीं था.

वह आगे कहती हैं, “सुबोध ने मेरे माता-पिता को समझाने की कोशिश की लेकिन फिर सामाजिक दबाव के कारण उन्होंने हमें स्वीकार नहीं किया. हमने किसी तरह अपनी कोर्ट मैरिज की…”

वह कहती हैं कि उसके ससुराल वालों ने उसे खुले दिल से स्वीकार किया और यहां तक ​​कि उनके लिए एक भव्य शादी का रिसेप्शन भी रखा. बाद में उसे एक प्यारी-सी बिटिया हुई लेकिन इस समय तक उसने अपनी नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उसकी गर्भावस्था जटिल थी.

तबस्सुम को कम ही पता था कि भविष्य में क्या छिपा था. सुनहरा भविष्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. एक कार्यक्रम में जहां उनकी बिटिया ने हिस्सा लिया था, उन्हें अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का विचार आया. वह कहती हैं, "मैं अपनी बेटी को एक कार्यक्रम में ले गई जहां मुझे कई खामियां मिलीं और मैंने अपना करियर शुरू करने का फैसला किया..."

तबस्सुम याद करती हैं, ''इसमें सुबोध ने मेरा पूरा साथ दिया, इससे न सिर्फ मेरा आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि आश्वस्त भी हुआ.''

उसने अपनी कंपनी "पेरिसा कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड" को वर्ष 2016में लॉन्च किया और कार्यक्रम आयोजित करने शुरू कर दिए. तबस्सुम याद करती हैं कि मूल विचार बच्चों के लिए कार्यक्रम करना था, लेकिन जो माताएं उन बच्चों के साथ आती थीं उन्होंने अनुरोध किया कि उनके लिए भी कुछ आयोजित किया जाए.

"यू सी, ये माताएं नौसिखिया थीं और अपनी क्षमता का पता लगाना चाहती थीं, इस प्रकार मिसेज दिल्ली एनसीआर का विचार मन में आया और उसका आयोजन भी हुआ. मुझे याद है वे महिलाएं कहती हैं, मैम हमें भी रैंप पे चलवा दो.”

जल्द ही थाईलैंड में अंतर्राष्ट्रीय फैशन प्रतियोगिता के प्रायोजकों ने उनसे संपर्क किया. "थाईलैंड ने मेरे लिए बूस्टर का काम किया था, मिसेज दिल्ली-एनसीआर के पहले सीज़न के पहले तीन विजेता, मेरे पति और मैं इस कार्यक्रम में भाग लेने गए थे..." एक पूरी तरह से पेशेवर होने के नाते, तबस्सुम ने फिर से कुछ कमियां पाईं सौंदर्य प्रतियोगिता और अपने स्वयं के लेबल के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता शुरू करने का फैसला किया.

"हम थाईलैंड में अपने कमरे में बैठे थे जब सुबोध और मैंने बात करना शुरू किया और विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा करते हुए हमने सोशल मीडिया पर अपना अंतर्राष्ट्रीय खिताब लॉन्च किया..."वह आगे कहती हैं, "भारत वापस आने के बाद, हम दूसरे सीज़न के साथ आगे बढ़े. तमाशा और बाद में उस वर्ष हमने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय फैशन शो किया…”

अपने धार्मिक विश्वासों के बारे में बात करते हुए तबस्सुम कहती हैं, "मैं अल्लाह में विश्वास करती हूं लेकिन सर्वशक्तिमान के साथ मेरा संबंध बहुत ही व्यक्तिगत है, मैं दिन में पांच बार नमाज नहीं पढ़ सकती हूं, लेकिन मैं अयताल्कुरसी (व्यक्ति की सुरक्षा के लिए अरबी में एक कविता) और चार कुल का पाठ करती हूं. (बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए चार छंदों का पाठ)”

वह मानवता की सेवा करने में विश्वास करती है और सब्र और शुक्र (धैर्य और कृतज्ञता) के मंत्र का पालन करती है. वह बताती हैं, "दूसरों की राय मेरे लिए शायद ही कभी मायने रखती है, मैं एक सर्वोच्च शक्ति के कारण हूं और यही मेरी यथास्थिति है."

अप्रैल में तबस्सुम ने रेडिसन ब्लू, पश्चिम विहार में सौंदर्य प्रतियोगिता के अपने 18वें सत्र की मेजबानी की. वह स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता के लिए भी काम करती हैं, उनके कार्यक्रम धर्मशाला अस्पताल के सहयोग से हैं जो स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं का इलाज करने वाला प्रमुख अस्पताल है. उनके कार्यक्रम ज्यादातर स्व-वित्तपोषित होते हैं और इसका एक हिस्सा कैंसर रोगियों को भी जाता है. आप उन्हें और उनकी कंपनी को इंस्टाग्राम पर क्रमशः "तबसुम हक", "डैज़ल इवेंट्स" के रूप में पा सकते हैं.

अपनी महिलाओं को संवारने और उन्हें एक शानदार जीत के लिए तैयार करने के अलावा, तबस्सुम न केवल यह कहती हैं कि दुनिया उनका रनवे है जहां वह एक "विश्वव्यापी नागरिक" हैं, बल्कि वह आम घरों में आम गृहणियों के लिए सौंदर्य प्रतियोगिताएं ले जाने और उन्हें महसूस कराने का भी सपना देखती हैं.

आत्मविश्वास से भरपूर और अंदर से सुंदर और साथ ही वह कहती हैं, "हर किसी के लिए इंजीनियरिंग और डॉक्टर होना जरूरी नहीं है, लेकिन फिर से हर कोई अलग होता है, और अगर काम किया जाए और महिलाओं को तैयार किया जाए तो वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं .."

वह मौखिक विज्ञापन और इन-हाउस मार्केटिंग में विश्वास करती है, फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम तक, कवच की महिला सोशल मीडिया के तकनीकी कौशल और कौशल में पूर्ण है.

अंत में वह कहती हैं, "डार्लिंग, रुकने के लिहाज से जिंदगी बहुत छोटी है.बड़ा सपना देखना मेरी अंतःप्रेरणा है और अपनी पूरी आत्मा के साथ उन्हें प्राप्त करना मेरा कर्तव्य."