कांस्टेबल ताहिर ने रक्तदान कर लॉकडाउन में फंसे जच्चा-बच्चा की बचाई जिंदगी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
कांस्टेबल सैयद अबू ताहिर
कांस्टेबल सैयद अबू ताहिर

 

चेन्नई. वर्दी में मानवीय सेवा की घटनाएं आए दिन सुर्खियों में आती रहती हैं. सच तो यह है कि हर वर्दीधारी के सीने में दिल होता है. आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें उनके चरित्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कभी वे एक फरिश्ते के रूप में प्रकट होते हैं, तो कभी एक मसीहा के रूप में. पिछले दो दशकों में ऐसी ही एक घटना हुई.

तमिलनाडु के त्रिची जिले के एक गांव का एक गरीब व्यक्ति अपनी गर्भवती पत्नी को त्रिची अस्पताल ले गया. अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि उसकी पत्नी की हालत गंभीर है और उसे तत्काल रक्त चढ़ाने की जरूरत है.

लॉकडाउन के चलते ब्लड बैंक बंद था. वह आदमी खून की जांच के लिए शहर में ठोकर खा रहा था.

उसे इस तरह जाते देखकर एक पुलिस कांस्टेबल ने उसे रोका और कहा, “आप कर्फ्यू में बाहर क्यों हैं?” जब आरक्षक ने पूरी कहानी सुनी, तो वह स्वयं रक्तदान करने के लिए तैयार हो गया.

पुलिस का रक्त समूह उस महिला की किस्मत से मेल खा गया और पुलिस द्वारा समय पर रक्तदान करने से मां और बच्चा दोनों बच गए.

जब घटना की सूचना पुलिस आयुक्त को दी गई, तो उन्होंने पुलिस कांस्टेबल सैयद अबू ताहिर को 25,000 रुपये का इनाम दिया.

इसकी अगली कहानी यह है कि कांस्टेबल ने अपनी धर्मपरायणता और मानवता का फिर से परिचय देते हुए इस पैसे से गरीब आदमी के अस्पताल का बिल चुका दिया और शेष स्त्री को दे दिया.