‘बाबा का ढाबा‘ पार्ट टू : जानिए कैसे बदल गई हैदराबाद के जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय मोहम्मद अकील की किस्मत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 18-06-2021
‘बाबा का ढाबा‘ पार्ट टू : जानिए कैसे बदल गई हैदराबाद के जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय मोहम्मद अकील की किस्मत
‘बाबा का ढाबा‘ पार्ट टू : जानिए कैसे बदल गई हैदराबाद के जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय मोहम्मद अकील की किस्मत

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / हैदराबाद

दिल्ली के ‘बाबा का ढाबा’ तो याद होंगे ही. कोरोना में ढाबा चलाने वाले एक बुजुर्ग दंपति की बदहाली देखकर जब एक यूट्यूबर ने अभियान चलाया तो देखते ही देखते वो लखपति बन गए. ( अलग बात है कि अपनी गलतियों से वह फिर अर्श से फर्श पर आ गए हैं.) अब सोशल मीडिया पर सक्रिय एक शख्स ने घर-घर खाने का पैकेट पहुंचाने वाले हैदराबाद के एक डिलीवरी ब्वॉय की किस्मत बदली है.इस सोमवार रात की घटना है. हैदराबाद में जोरदार बारिश हो रही थी. तभी शहर के किंग कोटि में जोमैटो डिलीवरी एग्जीक्यूटिव मोहम्मद अकील सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले रॉबिन मुकेश के घर खाना पहुंचाने बिजली की गति से पहुंचे.
 
मुकेश कहते हैं. उसे देखकर उन्हें जिस चीज ने प्रभावित किया, वह उसका बारिश में भीगना नहीं, बल्कि वह जिस कठिन दौर से गुजर रहा था. उसने उन्हें उसकी मदद को मजबूर कर दिया. 
robin mukesh
मोहम्मद अकील एक खराब साइकिल पर पैडल मारता हुआ बारिश में सराबोर खाने का ऑर्डर डिलीवर करने राॅतिबन मुकेश के घर पहुंचा था. उस युवक से जब लंबी बातचीत हुई तो दिलभर आया और उसी वक्त उसके लिए कुछ करने की ठान ली.
 
हैदराबाद के  तालाब कट्टा निवासी अकील  अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला है. उसकी इच्छा है, अच्छे नंबरों से स्नातक कर अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी से अपने परिवार के धुंधालए सपने पूरा करना. इस बीच कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी और इसने अकील के संघर्ष और परिवार के संकट को कई गुणा बढ़ा दिया.  उसके पिता चप्पल बनाने का काम करते हैं. लाॅकडाउन की वजह से उन्हें घर बैठने को मजबूर होना पड़ा.
 
21 वर्षीय मोहम्मद अकील इंजीनियरिंग तीसरे साल का छात्र है. पिता का रोजगार छिन जाने पर वह जोमैटो में डिलीवरी ब्वॉय बन गया. जोमैटो से जुड़ने के बाद उसने अपनी पुरानी हीरो साइकिल सड़कों पर दौड़ानी शुरू कर दी. वह रोजाना तकरीबन 80 किलोमीटर साइकिल चलाता है, फिर भी  मेहनत के अनुरूप मेहनताना नहीं मिल पाता.
 
मोहम्मद अकील बताते हैं, “मैं एक गरीब परिवार से आता हूं. मैं मोटर बाइक खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकता, इस लिए बारिश हो या धूप रोजाना कम से कम 80 किमी शहर के चक्कर लगाता हूं. इससे लगभग 20 ऑर्डर डिलीवर करता हूं. बदले में प्रति माह लगभग 8,000 रुपये बन जाते हैं.’’ वह मायूसी से बताते हैं कि इतने कम पैसे में उसके परिवार का गुजारा नहीं होता. अकील के मुताबिक, ‘‘मेरी आय मुझे मिलने वाले ऑर्डर पर निर्भर है.‘‘ 
 
राॅबिन मुकेश कहते हैं कि हम हैदराबादी बहुत दयावान होते हैं. अकील की कहानी सुनकर मैं द्रवित हो गया और उसी वक्त उसे बाइक दिलाने के लिए पैसे जुटाने के अभियान में जुट गया.राॅबिन मुकेश फेसबुक समूह ‘द ग्रेट हैदराबाद फूड एंड ट्रैवल क्लब‘ से जुड़े हैं. उन्होंने अकील की कहानी  ग्रुप में पोस्ट कर दी. इस ग्रुप के 32,000 से अधिक सदस्य हैं.
 
अकील को एक बेसिक टीवीएस एक्सएल 100 सीसी की जरूरत थी. मुकेश बताते हैं कि कुछ ही समय में अभियान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. 24 घंटों से भी कम समय में 65,801 रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 73,370 रुपये आ गए.
 
राॅबिन मुकेश कहते हैं, “हैदराबाद का असली सार मानवता है. हम लोग मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, खासकर इस कठिन समय में. मुकेश कहते हैं,‘‘मुझे खुशी है कि मैं उसकी दुर्दशा को अनदेखा करने और उसे नसीहत देने की बजाय उसकी मदद कर सका.’’
 
अकील के पास अब हेलमेट और रेनकोट के साथ एक मोटरसाइकिल भी है. खुशी के आंसू रोते हुए वह कहता कि अब वह रोजाना कम से कम 30 ऑर्डर समय पर दे सकेगा और अपने परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह कर पाएगा.