नजीर किचलू / श्रीनगर
‘द स्टार्स शाइन इन डार्क ’ यह नाम है एक पुस्तक का, जिससे लिखा है शारीरिक रूप से अक्षम आठवीं कक्षा की एक छात्रा ने. इस पुस्तक को पढ़कर उन्हें अवश्य हौसला मिलेगा जो संघर्ष भरी जिंदगी से घबरा कर उल्टे-सीधे फैसले ले लेते हैं.
किताब की लेखिका हैं अरतका मिराज और दक्षिण कश्मीर केे पंपोर में रहती हैं. उन्होंने अपनी यह पुस्तक ’द स्टार्स शाइन इन डार्क ’ हाल में लिखी है. वैसे भी तमाम व्यस्ताओं के बीच. अरतका मिराज कहती है कि किताब लिखना इसलिए भी संभव हुआ कि कोरोना संक्रमण की वजह से बाहर निकलने में पाबंदी थी. स्कूल भी लंबे समय तक बंद रहे.
अरतका बचपन से विकलांग हैं. इसकी बड़ी बहन भी शारिरीक रूप से अक्षम है और 11वीं में पढ़ती है. बावजूद इसके अरतका मिराज और उसकी बहन आमना ने कभी भी खुद पर विकलांगता हावी नहीं होने दी. दोनों विकालांग लड़कियां निर्धन परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
परिवार मेहनत मजदूरी कर गुजारा करता है. मिराज की एक दादी बीमार रहती हैं. अरतका मिराज परिवार का खर्च पूरा करने के लिए माता-पिता के काम में हाथ बटाती है. उसकी बड़ी बहन आमना परिवार की देखभाल में मदद करती है. परिवार की आर्थिक आमदनी का कोई स्थायी जरिया नहीं है.
अरतका मिराज कहती किताब लिखने के बारे में बताया कि इसमें संघर्ष की कहानी है. इसे लिखने का शौक है. यही वजह है कि तमाम व्यवस्थाओं में समय निकाल कर उसने यह किताब लिखी है.