अफ्फन कुट्टी: मोबाइल ऐडिक्ट से लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड तक का सफर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 03-04-2021
अफ्फन कुट्टी ने होली पर दी शुभकामनाएं
अफ्फन कुट्टी ने होली पर दी शुभकामनाएं

 

अनु राय / मुंबई

एक दस-ग्यारह साल का लड़का, जिसका न तो पढ़ने-लिखने में मन लग रहा था और नहीं किसी खेल-कूद में. वो लड़का दिन-रात फोन पर गेम खेलता रहता था या कोई टिक-टॉक वीडियो देखता रहता था. फोन की लत ऐसी कि आंखों में चश्मा लग गया. मां-बाप ने समझाने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह बात मनाने को तैयार नहीं हुआ.

एक दिन उस बच्चे के अब्बू ने उसे रूबिक-क्यूब दिया और कहा कि अगर तुमने इसे दो दिन में सॉल्व कर लिया, तो हम तुम्हें तुम्हारे फेवरेट शख्स से मिलवाएंगे. बच्चे के मन को वो बात भा गयी और बच्चे ने दो दिन के अंदर रूबिक-क्यूब बना डाला. उसी दिन शाम को उसके अब्बू उसे अपने पसंदीदा शख्स से मिलवाने ले गए. वो उस बच्चे की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था और वो बच्चा कोई और नहीं लिम्का बुक रेकॉर्ड होल्डर ‘मास्टर अफ्फन कुट्टी’ है.

आवाज द वॉइस की टीम से बात करते हुए अफ्फन के पिता बताते हैं कि एक वक्त ऐसा था, जब हमें लगता था कि इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता है. बस ये मोबाइल ऐडिक्ट हो कर रह जाएगा. लेकिन रूबिक-क्यूब्स को सॉल्व करने की उसकी रुचि ने न सिर्फ अफ्फन की जिंदगी बदली, बल्कि उसे एक लक्ष्य भी दिया.

अभी अफ्फन मुंबई के मुम्ब्रा इलाके में रहते हैं और बोर्ड इग्जाम की तैयारी कर रहें हैं. बोर्ड के इम्तिहान में बढ़िया रिजल्ट आए, इसके अलावा एक और सपना है, जो अफ्फन की आंखों में पल रहा है. वो है, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने का. इसके लिए अफ्फन की तरफ से पूरी तैयारी है, बस उन्हें किसी स्पॉन्सर की दरकार है, जो उन्हें प्रमोट कर सके.

वैसे गिनीज बुक तक ही सीमित नहीं है मास्टर अफ्फन कुट्टी की सोच. अफ्फन एक किताब लिखने की सोच रहें हैं, जो मोबाइल या सोशल मीडिया एडिक्सन के बारे में होगी. जिसमें इस बुरी आदत से कैसे निकलें, उसका भी समाधान बताएंगे.

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अफ्फन कुट्टी


अपनी मोबाइल एडिक्सन को छोड़ दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने की वजह से अफ्फन इतनी सी उम्र में ही ‘टेड डॉक’ जैसे शो के स्पीकर रह चुके हैं. इसके साथ ही वो कई टीवी शो में भी बतौर मेहमान बुलाए जा रहे हैं.

एक खास चीज, जिसका जिक्र अफ्फन के पिता खुद से करते हैं, वो ये है कि जब देश में ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि मुसलमान राष्ट्र गीत, जन-गण मन, नहीं गाना चाहते हैं. ऐसे दौर में अफ्फन आंख बंद करके रूबिक-क्यूब्स के जरिए राष्ट्रगीत लिख चुके हैं. इतना ही नहीं होली और दीवाली जैसे मौकों पर भी अफ्फन लोगों को रूबिक क्यूब्स के जरिए ही त्योहारों की शुभकामनाएं देते हैं.

अफ्फन कुट्टी जैसे बच्चे अगर देश में हैं, तो आने वाला कल भारत के लिए सुंदर ही होगा. अफ्फन जैसे अपनी मोबाइल ऐडिक्सन को छोड़ अपना नाम दुनिया के हर रिकॉर्ड-बुक में दर्ज करवा सकते हैं वैसे ही कोई और भी भटका बच्चा जिंदगी में सही राह चुन सकता है, बस मां-बाप को थोड़ा ध्यान देने की दरकार है.