सहिष्णुता की बयारः अब सऊदी अरब के बच्चे पढ़ेंगे रामायण और महाभारत

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
सऊदी अरब के बच्चे रामायण और महाभारत पढ़ेंगे
सऊदी अरब के बच्चे रामायण और महाभारत पढ़ेंगे

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

टॉलस्टाय, आइंस्टीन, अरस्तू आदि विद्वानों का मत है कि भारतीय संस्कृति में वह मूल तत्व विद्यमान है, जो विश्व को तब मार्ग दिखाएगा, जब विश्व की जीवनशैली नीरस और जीवन पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो चुका होगा.

रामायण में गोसाईं तुलसीदास जी ने प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा कि उनके चरित्र में उत्तम पुरुष की विभिन्न मर्यादाओं का प्रतिपादन है. वे आदर्श पुरुष कहे जा सकते हैं.

महाभारत में योग और सांसारिकता के साथ यह भी सिखाया गया है कि जब मानवीय संबंध अपने निचले स्तर पर पहुंच जाएं, तब दुश्मनी भी ऐसे निभाई जाए कि उसमें नीचता न दिखे. दुश्मनी भी शानदार हो. युद्ध भी ऐसे हो कि वह धर्मयुद्ध बन जाए.

खबर है कि अब कुरान, काबा और इस्लाम की धरती सऊदी अरब को रामायण और महाभारत ने आकर्षित किया है. अरब के भारत से सदियों पुराने सांस्कृतिक और तिजारती संबंध रहे हैं. वे अरब ही थे, जिनसे पुर्तगालियों और अंग्रेजों ने काली मिर्च और भारतीय मसालों के बारे में पहली दफा सुना था.

यह सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अब्दुल अजीज (एमबीएस) का फैसला है कि स्कूलों में बच्चों को महाभारत और रामायण पढ़ाई जाएगी.

मुझे मजा आया

इस फैसले के बारे में पहला ट्वीट एक सऊदी महिला नौफ अल मरवाई की ओर से नमूदार हुआ है.

नौफ ने अपने बच्चे की परीक्षा के प्रश्न पत्र का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा है, “सऊदी अरब के न्यू विजन -2030 और पाठ्यक्रम एक ऐसा भविष्य बनाने में मदद करेगा, जो समावेशी, उदार और सहिष्णु होगा. सामाजिक अध्ययन की पुस्तक में आज मेरे बेटे की स्कूल परीक्षा के स्क्रीनशॉट में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, रामायण, कर्म, महाभारत और धर्म की अवधारणाएं और इतिहास शामिल हैं. मुझे उसके अध्ययन में मदद करने में मजा आया.”

सऊदी अरब सदियों तक अपने में मस्त रहा. बस, सऊदी अरब और उसकी तेल आधारित अर्थव्यवस्था. यही कारण कि अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी. इसलिए एमबीएस को बहुमुखी अर्थव्यवस्था और पर्यटन की ओर बढ़ने का निर्णय करना पड़ा.

इस क्रम में वहां कई सुधार हुए. सरकार ने 2017 में महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति दी. 2019 में महिलाओं को तलाक दर्ज करने का अधिकार दिया गया. 2019 मे, शादी की उम्र 18 वर्ष से अधिक और उससे अधिक निर्धारित की गयी.

अर्थव्यवस्था ही नहीं, समाज को सांस्कृतिक रस भी चाहिए होता है. यही कारण है कि आप अपने दरवाजे अन्य संस्कृतियों के लिए दीर्घावधि के लिए बंद नहीं रख सकते. यदि अन्य संस्कृतियों और इतिहास के लिए आपने इनकार किया, तो आपकी स्थिति कूप-मंडूक सरीखी हो सकती है.

यही कारण था कि नौफ के ट्वीट का कुल वजन समावेशिता, उदारता और सहिष्णुता के स्फूर्तन पर टिका था. 

खबर है कि एमबीएस सऊदी विजन-2030 के माध्यम से सऊदी अर्थवयवस्था में अन्य देशों का निवेश आकर्षित करना चाहते हैं, क्योंकि वे देख चुके हैं कि तेल आधारित अर्थव्यवस्था की अपनी सीमाएं हैं.

ठसलिए एमबीएस के सऊदी विजन-2030 के तहत स्कूली पाठ्यक्रमों में वैदिक सनातन धर्म और बौद्ध धर्म भी पढ़ा-पढ़ाया जाएगा. इस तरह वहां के बच्चे जब वयस्क होंगे, तो वे अन्य संस्कृतियों के साथ भी समरस हो चुके होंगे. तब सऊदी बच्चे अन्य संस्कृति के लोगों से भी तादात्य बिठा जाएंगे.