तालिबान की जीत के बाद अफगानिस्तान में गृहयुद्ध और पाकिस्तान के परमाणु हथियार पर क्यों है खतरा ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 14-08-2021
तालिबान की जीत के बाद अफगानिस्तान में गृहयुद्ध
तालिबान की जीत के बाद अफगानिस्तान में गृहयुद्ध

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली / वाशिंगटन
 
तालिबान की जीत का मतलब अफगानिस्तान के लिए ‘‘बेहतर भविष्य‘‘ नहीं, क्योंकि स्थानीय गृहयुद्ध और आतंकवादी समूह के खिलाफ विद्रोह हो सकता है. यहां तक कि इनके बढ़ते प्रभाव से पाकिस्तान के परमाणु केंद्र पर भी खतरा मंडराने लगा है.
यह कहना है अमेरिका के राजनीतिक टिप्पणीकार हरलन उल्मैन का.
 
‘द हिल’ में एक ओपिनियन पीस में, अटलांटिक काउंसिल के वरिष्ठ सलाहकार, उल्मैन ने कहा कि कुछ लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि अफगानिस्तान का पतन ‘‘इतनी अचानक‘‘ होगा कि तालिबान का नियंत्रण देश के लगभग 85 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जो अब सच साबित हुआ है.
 
उन्होंने कहा, “जाहिर है, जब काबुल सरकार गिरेगी या सत्ता छोड़ती है, तो राष्ट्र-निर्माण और लोकतंत्रीकरण, फिर से हार जाएगा. इस तरह तालिबान की जीत का मतलब उस देश के लिए बेहतर भविष्य नहीं. उल्मैन ने कहा, बहुत संभावना है, तालिबान शासन प्रांतों में अलग-अलग हो.
 
उन्होंने कहा,“कुछ मामलों में, स्थानीय युद्धक सत्ता में बने रहेंगे. तालिबान को समायोजित करेंगे या अपने सीमित क्षेत्रों के नियंत्रण से परे पहुंचेंगे. यह तालिबान के खिलाफ गृहयुद्ध और विद्रोह के स्थानीय प्रकोपों ​​​​को जिंदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति लगातार बनी रहेगी .
 
उल्मैन का मानना ​​है कि पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट (आईएसआई) के माध्यम से तालिबान पर अधिक प्रभाव डालने का प्रयास करेगा. यह ‘‘प्रधानमंत्री इमरान खान की यू.एस. विफलता के कारण होगा.‘
उन्होंने कहा,‘‘ अफगान तालिबान के समर्थन से पाकिस्तान एक तरफ इनकार करता है. जबकि इस मामले में इसका दोहरापन कई बार उजागर हो चुका है. उन्हांेने कहा कि जैसे-जैसे उग्रवाद बढ़ता है, वैसे-वैसे पश्चिमी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित होंगे.
 
विशेषज्ञ की राय है कि चीन ‘‘अधिक आरक्षित भूमिका‘‘ निभाएगा क्योंकि अस्थिरता व्यापार के लिए अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा,‘‘अफगानिस्तान के दुर्लभ पृथ्वी खनिज और अन्य संसाधनों में रुचि के अलावा, चीन की कई परियोजना के लिए भी यह सही नहीं है.‘‘
 
उधर, बिडेन प्रशासन, विशेषज्ञ ने कहा है कि गठबंधन बलों के लिए समर्थन और काम करने वाले हजारों अफगानों और उनके परिवारों को छोड़ने के लिए उचित रूप से दंडित किया जाएगा.
 
अफगानिस्तान में हिंसा में वृद्धि देखी जा रही है. तालिबान ने अफगान बलों और नागरिकों के खिलाफ अपने आक्रमणे तेज कर दिए हंै. तालिबान द्वारा देश में बढ़ती हिंसा के कारण, स्थिति बुरी तरह बिगड़ रही है. आतंकवादी समूह सरकार से कई क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद लोगों को लूट रहे हैं. नागरिकों को मार रहे हैं.
 
पिछले साल फरवरी में वाशिंगटन और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी सेना द्वारा बड़ी संख्या में अफगानिस्तान छोड़ने के तुरंत बाद तालिबान ने अफगान बलों के खिलाफ अपना आक्रमण तेज कर दिया.
 
स्थानीय मीडिया ने बताया कि तालिबान ने पिछले 24 घंटों में छह प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है, जिसके बाद कब्जे वाले प्रांतों की कुल संख्या 18 हो गई है.खामा प्रेस ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कंधार, हेलमंद, हेरात, बडघिस, घोर, लोगर, जाबुल और ओरुजगान प्रांतों के केंद्र तालिबान के हाथ में आ गए.