काबुल. अमेरिका के अनुरोध पर तीन साल से भी कम समय पहले पाकिस्तान की जेल से रिहा हुआ तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध के निर्विवाद विजेता के रूप में उभरा है. जबकि हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का समग्र नेता है, बरादर इसका राजनीतिक प्रमुख और इसका सबसे बड़ा पब्लिक फेस है.
रविवार को एक टेलीविजन बयान में, उसने कहा कि तालिबान की असली परीक्षा अभी शुरू हुई है और उसे राष्ट्र की सेवा करनी है.
1968में उरुजगान प्रांत में जन्मे, उसने 1980के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी. 1992में रूसियों को बाहर निकालने के बाद और देश में प्रतिद्वंद्वी गुटों के युद्ध के बीच बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई मोहम्मद उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया.
दोनों ने मिलकर तालिबान की स्थापना की, जो देश के धार्मिक शुद्धिकरण और एक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्ला उमर के डिप्टी बरादर जीत का प्रमुख वास्तुकार है. इन्हें व्यापक रूप से एक अत्यधिक प्रभावी रणनीतिकार माना जाता है.
बरादर ने पांच साल के तालिबान शासन में सैन्य और प्रशासनिक भूमिकाएं निभाईं, वह तत्कालीन उप रक्षा मंत्री थे.
तालिबान के 20साल के निर्वासन के दौरान, बरादर को एक शक्तिशाली सैन्य नेता और एक सूक्ष्म राजनीतिक संचालक होने की प्रतिष्ठा हासिल हुई.
हालांकि, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रशासन उनकी सैन्य विशेषज्ञता से अधिक भयभीत था. सीआईए ने 2010में उसे करांची में ट्रैक किया और उसी साल फरवरी में आईएसआई को उसे गिरफ्तार करने के लिए राजी किया.
द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018में, हालांकि, वाशिंगटन का रवैया बदल गया और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अफगान दूत, जलमय खलीलजाद ने पाकिस्तानियों से बरादर को रिहा करने के लिए कहा, ताकि वह कतर में बातचीत का नेतृत्व कर सकें, इस विश्वास के आधार पर कि वह सत्ता-साझाकरण व्यवस्था के लिए समझौता करेंगे.
बरादर ने फरवरी 2020में अमेरिका के साथ दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे ट्रम्प प्रशासन ने शांति की दिशा में एक सफलता के रूप में देखा था.
एक-दूसरे से नहीं लड़ने के लिए अमेरिका और तालिबान के समझौते के बाद तालिबान और अशरफ गनी की काबुल सरकार के बीच सत्ता-साझाकरण वार्ता होनी चाहिए थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वार्ता थोड़ी प्रगति के साथ लड़खड़ा गई और अब यह स्पष्ट है कि बरादर और तालिबान अमेरिकियों के जाने का इंतजार कर रहे थे.