हम पाकिस्तानी संसद पर तिरंगा लहराएंगे: प्रो शेख सादेक

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-12-2022
1971 के युद्ध में पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी भारतीय सेना के सामने सरेंडर करते हुए
1971 के युद्ध में पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी भारतीय सेना के सामने सरेंडर करते हुए

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

अभी हाल ही में पाकिस्तान ने विवादित फौजी आसिम मुनीर अहमद को अपना सेना प्रमुख बनाया है. उन्होंने सबसे पहला काम यह किया कि वे तैनाती के बाद वे सीधे पाक अधिकृत कश्मीर में एलओसी पर पहुंचे और भारत पर निशाना साधते हुए बयान दिया कि उनकी सेना दुश्मन को करारा जवाब देगी.

इस बयान पर ट्विटर वार छिड़ गया है. लोग पाकिस्तान और उसके सेना प्रमुख को ताबड़तोड़ जवाब दे रहे हैं. एक प्रोफेसर ने तो यहां तक कह दिया कि इंसाल्लाह एक दिन हम पाकिस्तानी संसद पर तिरंगा लहराएंगे.

दरअसल प्रोफेसर अशोक स्वैन ने एक ट्वीट किया, ‘‘भारतीय सेना के जनरल का कहना है कि वे पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर का हिस्सा ले सकते हैं. अब पाकिस्तान सेना प्रमुख का कहना है कि वे भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर का हिस्सा ले सकते हैं. क्या किसी ने कश्मीरियों से पूछा है कि वे क्या चाहते हैं ?

अशोक के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया साइट पर बहस छिड़ गई. सिंधुदेश के ट्विटर हैंडल से जवाब दिया गया, ‘‘कश्मीर के लोगों की इच्छा पहले ही व्यक्त और प्रलेखित की जा चुकी है. समस्या यह है कि पाकिस्तानी इसे स्वीकार नहीं करना चाहते. जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं को 26 अक्टूबर 1947 को प्रलेखित किया गया है. यहाँ जम्मू-कश्मीर महाराजा हरि सिंह के वैध शासक द्वारा हस्ताक्षरित विलय का कागज है.

एक यूजर सहर शिनवारी ने कहा, ‘‘काश पेशावर से लेकर कन्याकुमारी तक सारा पाकिस्तान होता, तो कितना मजा आता.

प्रो शेख सादेक नाम के यूजर सहर षिनवारी से एक कदम आगे निकल गए और बोले, सपने देखना बंद करो, इंशाअल्लाह एक दिन आएगा, जब हम पाकिस्तान की संसद पर तिरंगा फहराएंगे.

खुर्रम सईद का कहना है, ‘‘75 साल में इस फालतू के विवाद को किसी नेता ने क्यों नहीं सुलझाया.? और फिर हमारे पास ये जहरीले लोग हैं, जो आग लगाना और उससे आनंद प्राप्त करना पसंद करते हैं. मैं कभी नहीं समझ पाया कि पाकिस्तान कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा क्यों मानता है.?

उमेर आमिर मजीद ने कहा, ‘‘यह किसी का निजी मामला नहीं है और कश्मीर आपके बाप की जागीर नहीं है’’

सिंपल हितेश का नजरिया है, ‘‘कश्मीरी कश्मीर से बाहर हैं. कश्मीरी हिन्दू ही असली कश्मीरी हैं. जम्मू और लद्दाख के लोग भी कश्मीरी हैं. जो लड़े, दमित हुए, फिर भी झुके नहीं, असली कश्मीरी हैं और वे आज, कल और हमेशा भारत के साथ हैं. कश्मीरियत नाम का कोई शब्द नहीं है.