मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अमेरिका के ड्रोन हमले में अलकायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पहला अहम सवाल तो यही है कि क्या इस हमले में अफगानिस्तान में हुकूमत करने वाले तालिबान के नंबर दो नेता सिराजुद्दीन हक्कानी का बेटा भी मारा गया है ?
साथ ही इस मामले में तालिबान और पाकिस्तान की नियत को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. काबुल के जिस मकान में अलकायदा प्रमुख रह रहा था, वह एक रिहायशी क्षेत्र में स्थित है. कहते हैं कि हमले के समय तालिबान सरकार में नंबर दो सिराजुद्दीन हक्कानी का बेटा भी उस समय वहां मौजूद था.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 2, 2022
राष्ट्रीय सुरक्षा पर नजर रखने वाले पत्रकार आदित्य राज कौल ने भी अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि इस हमले में सिराजुद्दीन हक्कानी का बेटा भी मारा गया है. इस घटना के साथ तालिबानका यह दावा झूठा साबित हुआ है कि वह अफगानिस्तान की जमीन आतंकवादियों को इस्तेमालकरने नहीं देगा.
इस बारे में भारत अपनी आशंका कई अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म परजाहिर कर चुका है. साथ ही तालिबान के काबुल पर काबिज होने के बाद भारत इस शर्त के साथ अब तक अफगानिस्तान की दवाईयों और खाद्यान्न से मदद करता रहा है कि वह अपनी जमीन आतंकवादियों को इस्तेमाल नहीं करने देगा.
इसी भरोसे के अभाव में ही अब तककिसी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. चूंकि राजधानी काबुल के रिहायशी इलाके में अल जवाहिरी खुले आम रह रहा था और इसके आंतरिक मंत्री का बेटा भी अमेरिकी में कथित तौर से मारा गया है,
इसका अर्थ है कि वह न केवल तालिबान की जानकारी में दुनिया में आतंकवादी गतिविधियां चला रहा था.उसकी इस हरकत में तालिबान के भी कुछ करीबी लोग शामिल थे. अल जवाहिरी की मौत के बाद पाकिस्तान की नियत पर भी सवाल उठ रहे हैं.
उसकी वजह है अमेरिकी ड्रोन का अफगानिस्तान तक पहुंचना. अमेरिका का ईरान से रिश्ता ठीक नहीं है. अमेरिकी सेना केअफगानिस्तान छोड़ने के बाद ‘लैंड लॉक’ होने की वजह से इसका हवाई क्षेत्र बंद है.ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिकी ड्रोन ने काबुल पर पाकिस्तान के रास्ते हमला किया .
— Dawood Azami 🕊 داود اعظمي (@DawoodAzami) August 1, 2022
बीबीसी लंदन के मल्टीमीडिया एडिटर दाउद अजामी ने इस बारे में कई ट्वीट किए हैं, जिससे पता चलता है कि बगैर पाकिस्तान के सहयोग से अलकायदा अमीर अल जवाहिरी का मारा जाना संभव नहीं है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखाहै-एक साल पहले नाटो और अमेरिकी सेना के लौटने के बाद यह अफगानिस्तान पर पहला हमला है.
उन्होंने अमेरिकी सूत्रों के हवाले से कहा है कि 31 जुलाई को काबुल के रिहायशी इलाके में अलकायदा प्रमुख को अमेरिकी ड्रोन ने अपना शिकार बनाया. उन्होंने लिखा है-अफगानिस्तान एक लैंडलॉर्ड कंट्री है. एयरस्पेस पर प्रतिबंध है.
इसका मतलब है कि अमेरिका ने पाकिस्तान केएयरस्पेस का इस्तेमाल किया. उन्होंने एक अन्य ट्वीटमें कहा है-दोहा डील कहता है कितालिबान अल-कायदा सहितअपने किसी भी सदस्य, अन्य व्यक्तियों या समूहों को अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अपनीधरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा.
इस बारे में अमेरिका का कहना है कि अगर तालिबान कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है या अक्षम है तो वह अलकायदा (औरआईएसकेपी) को निशाना बना सकता है.मगर अब अलकायदा और तालिबान के रिश्तों की पोल खुल चुकी है.
वैसे अब तक इस मामले में तालिबान और पाकिस्तान की ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है. न ही सिराजुद्दीन हक्कानी कीओर से अब तक यह बताया गया है कि हमले में उसका बेटा मारा गया है अथवा नहीं ?
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