जिनेवा
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता समन्वय एजेंसी (OCHA) ने वर्ष 2026 के लिए अपनी वित्तीय अपील को कम कर दिया है। ऐसा इसलिए करना पड़ा है क्योंकि इस साल पश्चिमी सरकारों से मिलने वाला समर्थन पिछले दस वर्षों के सबसे निचले स्तर पर आ गया।OCHA ने सोमवार को बताया कि वह 2026 में युद्ध, जलवायु आपदाओं, भूकंप, महामारी और खाद्य संकट से जूझ रहे 135 मिलियन लोगों की मदद के लिए 33 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने की अपील करेगी।
इसके मुकाबले, इस साल एजेंसी को केवल 15 अरब डॉलर ही प्राप्त हुए—जो एक दशक में सबसे कम है।
एजेंसी ने बताया कि 2026 में-
फिलिस्तीनी क्षेत्रों में 30 लाख लोगों की मदद के लिए 4.1 अरब डॉलर,
दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन संकट से जूझ रहे सूडान के लिए 2.9 अरब डॉलर,
और सीरिया से जुड़े क्षेत्रीय मानवीय कार्यक्रमों के लिए 2.8 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।
OCHA प्रमुख टॉम फ्लेचर ने स्थिति को बेहद गंभीर बताते हुए कहा—
“2025 में भूख बढ़ी। खाद्य बजट में कटौती की गई, जबकि सूडान और गाजा में अकाल जैसी स्थिति पहुंच चुकी थी। स्वास्थ्य प्रणाली टूट गई, बीमारियों के प्रकोप बढ़े, और लाखों लोग भोजन, स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षा से वंचित रह गए।”उन्होंने बताया कि महिलाओं और लड़कियों के संरक्षण कार्यक्रमों में भारी कटौती हुई और कई सहायता संगठन बंद हो गए।
इस वर्ष UN ने 47 अरब डॉलर की अपील की थी और 190 मिलियन लोगों की मदद का लक्ष्य रखा था।लेकिन फंडिंग कम मिलने के कारण 2024 की तुलना में इस वर्ष 2.5 करोड़ कम लोगों तक सहायता पहुंच पाई।
पश्चिमी देशों में “डोनर फ़टीग” बढ़ने के पीछे मुख्य कारण;
रूस के प्रति सुरक्षा चिंताएँ,
आर्थिक मंदी,
और सरकारी बजट पर दबाव बताया जा रहा है।
फ्लेचर ने कहा—
“मुझे पता है कि बजट तंग हैं, परिवारों पर दबाव है। लेकिन दुनिया ने पिछले साल रक्षा पर 2.7 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए। मैं सिर्फ उसका 1 प्रतिशत मांग रहा हूँ।”
फंडिंग संकट के कारण UN प्रणाली में हजारों नौकरियाँ समाप्त की गई हैं, विशेष रूप से प्रवासन और शरणार्थी एजेंसियों में।सचिव-जनरल एंतोनियो गुटेरेस ने संचालन की समीक्षा शुरू की है, जिसके परिणाम स्पष्ट नहीं हैं।
फ्लेचर ने कहा कि सहायता तंत्र में “कट्टर सुधार” जरूरी है,
नौकरशाही कम की जाए,
दक्षता बढ़ाई जाए,
स्थानीय संगठनों को अधिक अधिकार मिले।
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन से लगभग रोज़ “रचनात्मक बातचीत” हो रही है।
अंत में फ्लेचर बोले,“क्या मैं दुनिया को झकझोरकर प्रतिक्रिया चाहता हूँ? बिल्कुल।लेकिन इसके साथ ही, हम मानवीय कार्यकर्ता दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहेंगे—जो मिलता है, उसी से काम करते रहेंगे।”