तकरीबन एक महीने बाद पवित्र महीना रमजान शुरू हो रहा है. चूंकि यूक्रेन, रूस के लिए युद्ध का मैदान बना हुआ है, इसलिए अभी यह बताना मुश्किल है कि यूक्रेन के मुसलमानों का इस दफा रमजान का महीना कैसे बीतेगा. उनके बीच रोजा रखने का उत्सव होगा या नहीं ? मगर उनके पिछली रिवायात के अनुसार, यह तो बताया ही जा सकता है कि यूक्रेन के मुसलमान भी दुनिया की अन्य मुस्लिम बिरादरियों की तरह ही रमजान के दिनों में पुरजोश तरीके से रोजे रखते और उसकी व्यवस्था करते हैं. वैसे, यूके्रन के डोनाबास का रमाज थोड़ा हट के होता है. यूक्रेन के मुसलमानों की दूसरी कड़ी में पढ़िए मलिक असगर हाशमी की डोनाबास के रमजान पर रिपोर्ट.
इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले पाठकांे को बता दूं कि स्व-घोषित डीपीआर (डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक) के अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित यूक्रेनी शहर डोनेट्स्क में जीवन न केवल कठिन है, बल्कि खतरनाक भी है. फिर भी, शहर का आध्यात्मिक जीवन कभी फीका नहीं पड़ा.
यहां के मुस्लिम, कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद, कर्फ्यू, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और जान जोखिम में रखकर पूरे जतन से रमजान के महीने में रोजे रखते हैं और संयुक्त रूप से रोजा इफ्तार और नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में इकट्ठा होते हैं.
डोनबास की जिंदगी मुश्किल
एयूएएसओ ‘‘अलरेड‘‘ डोनबास शाखा के प्रमुख हमजा इस्सा रमजान के दिनों को याद करते हुए बताते हैं, इस पूरे महीने में पैरिशियन कभी भी एक दिन या रात के लिए मस्जिद नहीं छोड़ते. सारी नमाजें और संयुक्त इफ्तार मस्जिद में ही करते हैं. हालांकि, रमजान की आखिरी 10 रातों के दौरान हर कोई मस्जिद में नहीं रह सकता, क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
वह बताते हैं, इलाके में कर्फ्यू की वजह से लोग ज्यादातर दिन में मस्जिद आते हैं. रूसी हमले से पहले यहां की स्थिति इतनी खराब थी कि यूक्रेनी सेना-पुलिस के भय से डोनाबास के मुसलमान रात में शहर में नहीं घूम सकते थे, इसलिए रात की नमाज के दौरान सामान्य से बहुत कम लोग मस्जिद में होते हैं. उदाहरण के लिए, रमजान की 27 वीं रात के दौरान दिन के समय आने वाले 100 मुसलमानों में से केवल 60 लोग रात भर रुकने को तैयार होते हैं.
रमजान की व्यवस्था को धन संग्रह
श्री इस्सा ने यह भी बताया कि कुरान और नमाज पढ़ने में पुराने पैरिशियन अच्छे रोल मॉडल हैं. 78 वर्षीय हैरिस-हज्जी हरितोव रात की नींद त्याग कर रामजान के दिनों में पवित्र कुरान का पाठ करते हैं.
डोनाबास के मुस्लिम
मुश्किलों के बावजूद मस्जिद में संयुक्त इफ्तार करने से नहीं चूकते. हमजा बताते हैं, इसकी व्यवस्था करने के लिए मुसलमानों द्वारा धन इकट्ठा किया जाता है. जो डोनेट्स्क छोड़कर यूक्रेन या अन्य विदेशों मंे जा बसे हैं, उनसे भी रमजान पर होने वाले खर्च के लिए आर्थिक सहयोग लिया जाता है.
रमजान के दिनों में विदेशी छात्र भी यहां की मस्जिद में रोजा इफ्तार करते देखे जा सकते हैं. वह बताते हैं कि यूक्रेनी विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने वाले जब यहां से लौटते हैं तो वे भी रमजान में उनकी मदद करते हैं. बताते हैं कि डोनेट्स्क की मस्जिद को इराक के अब्दुल्ला ने सुंदर अरबी सुलेखों से सजाया है.
कस्बों में इफ्तार का इंतजाम
रमजान के दिनों में डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों के अन्य कब्जे वाले क्षेत्रों के इस्लाम के अनुयायियों को भी सुविधाविहीन नहीं छोड़ा जाता है. हमजा इस्सा बताते हैं कि रमजान के दिनों में वो और उनके दो सहायक कस्नी लुच, स्वेर्दलोव्स्क, अल्चेवस्क, रोवेनकी और लुहान्स्क के कस्बों में जाकर संयुक्त नमाज और इफ्तार के आयोजन की व्यवस्था करते हैं.
स्थानीय लोगों को रमजान के दिनों में इस्तेमाल किए जाने वाले खाने-पीने के सामानों की टोकरी मुहैया कराई जाती है. वो बताते हैं कि इन बस्तियों में खासी संख्या में मुसलमान हैं. मगर इन की दशा बहुत खराब है. इसलिए उन्हें जकात-फितरा निकालने के लिए बाध्य नहीं किया जाता.
रमजान के दिनों में दुनिया के अन्य हिस्से की तरह यूक्रेन के मुसलमान भी फितरा निकालते हैं. चूंकि अभी रूस-यूक्रेन युद्ध पूरे चरम पर है, इसलिए रमजान से पहले ही अन्य यूक्रेनी की तरह इस देश के मुसलमानों को भूखे-प्यासे दिन गुजारने पड़ रहे हैं. बाकी रमजान में अल्लाह मालिक !
एयूएएसओ ‘‘अलरेड‘‘ डोनबास शाखा के प्रमुख हमजा इस्सा रमजान के दिनों को याद करते हुए बताते हैं, इस पूरे महीने में पैरिशियन कभी भी एक दिन या रात के लिए मस्जिद नहीं छोड़ते. सारी नमाजें और संयुक्त इफ्तार मस्जिद में ही करते हैं. हालांकि, रमजान की आखिरी 10 रातों के दौरान हर कोई मस्जिद में नहीं रह सकता, क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
क्या है डोनबास
यह दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक इलाका है. डॉन नदी डोनेट्स के माध्यम बहती है. इसकी सीमाओं को आधिकारिक तौर पर सीमांकित नहीं किया गया है. यहां रहने वाले रूस समर्थक हैं. मार्च 2014 में यूरोमैडन और यूक्रेनी क्रांति के बाद, डोनबास के बड़े इलाके अशांति की चपेट में आ गए. इसके उपरांत स्व-घोषित डोनेट्स्क और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (जिसे संयुक्त राष्ट्र में मान्यता प्राप्त नहीं है) से संबद्ध रूसी समर्थक अलगाववादियों के बीच युद्ध में बदल गया. यूक्रेन के सभी क्षेत्रों में डोनबास सबसे घनी आबादी वाला था क्षेत्र माना जाता है. अभी रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना को सबसे अधिक इसी इलाके से समर्थन मिल रहा है.