यूकेः कश्मीर पर कॉन्क्लेव, पीओजेके में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को लगाई फटकार

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 31-07-2022
 यूकेः कश्मीर पर कॉन्क्लेव, पीओजेके में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को लगाई फटकार
यूकेः कश्मीर पर कॉन्क्लेव, पीओजेके में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को लगाई फटकार

 

आवाज द वॉयस /लीड्स 
 
यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ यूके के लीड्स में अंतर्राष्ट्रीय कश्मीर सम्मेलन का आयोजन किया.

इस दौरान पाकिस्तान सरकार द्वारा क्षेत्र में भूमि हथियाने की निंदा की गई. कहा गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर सेना और दूसरे राज्यों के प्रभावशाली लोगों का कब्जा हो गया है.
 
सम्मेलन 28 जुलाई को आयोजित किया गया था, जहां कश्मीरी राष्ट्रवादी मानवाधिकार कार्यकर्ता, विचारक, राजनेता और अन्य प्रसिद्ध प्रवासी व्यक्तित्व इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक साथ आए.
 
सम्मेलन ने घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ववर्ती राज्य एक राजनीतिक इकाई है. इसका एकीकरण, स्थिरता और समृद्धि अंतिम लक्ष्य है.सम्मेलन में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इकट्ठा होने और विरोध करने का अधिकार एक मौलिक मानव अधिकार है, जिसे जनता से दबाया या छीना नहीं जा सकता.
 
इस बात पर जोर दिया गया कि अन्याय, आसमान छूती महंगाई, बिजली की कमी और भारी करों का विरोध कर रहे पीओजेके के लोगों को बंदूक से चुप नहीं कराया जा सकता.
 
सम्मेलन ने पुष्टि की कि जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के लोग 1947 से पाकिस्तान द्वारा आक्रामकता, हिंसा और चरमपंथ के शिकार बने हुए है. अलगाव की पीड़ा समाप्त होनी चाहिए.
 
प्राकृतिक संसाधनों की लूट और हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े बांधों का निर्माण करके और नदियों के प्रवाह को मोड़ने से पीओजेके और जीबी के लोगों के बीच भारी पुनर्वास हो रहा है और स्थानीय लोगों को कठिनाई हो रही है .
 
सम्मेलन में उच्च कीमतों, बिजली की कमी, स्वच्छ पेयजल की कमी और उनके प्राकृतिक संसाधनों के व्यवस्थित दोहन के खिलाफ निहत्थे शांतिपूर्ण
प्रदर्शनकारियों पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा की गई क्रूरता की कड़ी निंदा की गई.
 
सम्मेलन में यह भी देखा गया कि चीन जम्मू-कश्मीर विवाद का पक्षकार नहीं है, लेकिन भूमि का एक बड़ा हिस्सा (अक्साई चिन और शक्सगाम घाटी) 1962-63 से उनके कब्जे और नियंत्रण में है.
 
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाले बलों को जम्मू-कश्मीर खाली करने और विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की जरूरत है.