अमेरिका-ब्रिटेन में उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों ने चीन के झंडे जलाए

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-10-2022
अमेरिका-ब्रिटेन में उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों ने चीन के झंडे जलाए
अमेरिका-ब्रिटेन में उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों ने चीन के झंडे जलाए

 

वाशिंगटन. चीन के अल्पसंख्यक समुदायों उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों ने अपने राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य मेंयूएस और यूके के कई शहरों में प्रदर्शन किए और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के झंडे जलाए.

रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) की रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों और असंतुष्टों पर चल रहे उत्पीड़न के विरोध में प्रदर्शनकारी दुनिया भर के शहरों में एकत्र हुए. बीजिंग के मानवाधिकार रिकॉर्ड के विरोध में, लंदन में प्रदर्शनकारियों ने चीनी ध्वज को जला दिया और चीनी दूतावास के बाहर उस पर मैगॉट्स और गोबर फेंक दिया.

आरएफए ने रिपोर्ट किया कि हांगकांग, तिब्बतियों और उइगरों ने 73वें राष्ट्रीय दिवस को चिह्नित करने के लिए यूके के शहरों में लगभग 15 विरोध प्रदर्शन आयोजित किए और ‘सीसीपी को ना कहें’ नारे लगाए.

‘‘चीन ने झूठ बोला! लोग मर गए! सीसीपी पर शर्म करो!’’ का नारा लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने पिकाडिली सर्कस से चीनी दूतावास तक मार्च किया, जिसमें सीसीपी द्वारा अधिनायकवादी शासन का विरोध करने वाली तख्तियां थीं.

एक प्रदर्शनकारी उपनाम त्से ने कहा कि वह शहर की खोई हुई स्वतंत्रता के लिए उदासीनता व्यक्त करने के लिए विरोध में औपनिवेशिक युग का हांगकांग का झंडा ले जा रहा था. उन्होंने कहा कि ‘‘हम स्वतंत्रता, लोकतंत्र और कानून के शासन के साथ एक हांगकांग चाहते हैं जैसे हमारे पास अतीत में था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हांगकांग के लोगों से किए गए वादों, (1984) चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा में की गई प्रतिबद्धताओं और दुनिया से किए गए अपने वादे को कुचल दिया है. क्या उन्होंने एक बार हांगकांग के लोगों से पूछा (उन्होंने क्या सोचा?)’’

उइगर असंतुष्ट रहीमा महमुत ने रैली को बताया कि, जब से 73 साल पहले पीआरसी की स्थापना हुई थी, तिब्बत और झिंजियांग पर कब्जा कर लिया गया है, सांस्कृतिक क्रांति ने चीन में राजनीतिक उथल-पुथल ला दी, और सीसीपी ने 1989 के तियानमेन नरसंहार में असंतोष को खून से दबा दिया.

हांगकांग की स्वतंत्रता और लोकतंत्र को नष्ट कर दिया गया है, और उइगरों को नरसंहार का सामना करना पड़ा है, जिसमें सीसीपी नेता शी जिनपिंग की शून्य-सीओवीआईडी नीति के हिस्से के रूप में एक महीने से अधिक समय तक अपने घरों में उइगरों का सामूहिक कारावास शामिल है, उन्होंने भीड़ को बताया.

संयुक्त राज्य अमेरिका में, प्रदर्शनकारी 1 अक्टूबर को कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के परिसर में एकत्रित हुए, तिब्बती ध्वज, हांगकांग के औपनिवेशिक युग के ध्वज को लहराते हुए और सीसीपी शासन के तहत अनुमानित मृत्यु टोल के साथ एक समाधि का पुतला स्थापित किया. माओ जेडॉन्ग ने 1 अक्टूबर 1949 को तियानमेन पोडियम से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की घोषणा की.

‘‘फ्री तिब्बत!, फ्री हॉन्ग कॉन्ग! और उइगरों को मुक्त करो’’ का जाप किया. प्रदर्शनकारियों ने एक तख्ती भी लटका दी, जिस पर लिखा था, ‘‘मुझे पता है कि आपने चेक गणराज्य में क्या किया.’’

एशियाई-अमेरिकी राजनीतिक समूह फार ईस्ट यूथ फ्रीडम लीग के सदस्य चेन गुओडोंग ने कहा कि प्रदर्शनकारी चेक के दिवंगत अधिकारी जारोस्लाव कुबेरा की तस्वीर भी साथ लाए थे, जिनकी चीन से धमकी भरा संदेश मिलने के तुरंत बाद कार्यालय में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. चेन ने कहा, ‘‘कुबेरा का निधन (2020 में) हुआ, जब वह ताइवान की यात्रा करने वाले थे. उन्हें झांग जियानमिन ने धमकी दी थी और कुछ ही समय बाद उसकी मृत्यु हो गई (इसलिए हम मानते हैं) झांग जियानमिन के हाथों पर खून लगा है.’’

आरएफए की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी कैलिफोर्निया तिब्बती संघ के सदस्य तेनजिन दोरजी ने कहा कि उन्होंने सीसीपी द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे के विरोध में भाग लिया. उन्होंने कहा, ‘‘सीसीपी ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, और तिब्बती उसके क्रूर शासन के तहत नरसंहार का शिकार हो रहे हैं.’’

सैन गैब्रियल, लॉस एंजिल्स और पार्क सिटी, मॉन्ट्रियल में भी विरोध प्रदर्शन हुए. तख्तियों पर ‘‘सीसीपी को नष्ट करें!’’ लिखा हुआ था. एलए विरोध ने शहर में चीनी वाणिज्य दूतावास में एक चक्कर लगाया, जहां तिब्बतियों और उइगरों सहित प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने चीनी ध्वज को जला दिया.