काबुल. प्रख्यात अफगान फिल्म प्रोड्यूसर सहरा करीमी ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा तेजी से कब्जा किए जाने के प्रभाव के प्रति दुनिया को जगाने का आह्वान किया गया है. वह फिल्म प्रोड्यूसर्स और सामान्य रूप से महिलाओं के लिए क्रूर उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा का आह्वान कर रहीं हैं, जिन्होंने अंतिम अमेरिकी बलों की वापसी के बीच देश पर कब्जा कर लिया है.
करीमी का पत्र अंतरार्ष्ट्ीय मीडिया संगठनों को भेजा गया है और उनके फेसबुक अकाउंट पर विभिन्न रूपों में पोस्ट किया गया है. वैराइटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रविवार को, अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ पूरी तरह से लग रही थी, क्योंकि आतंकवादियों के देश की राजधानी काबुल में घुसने की खबर थी, जिससे राष्ट्रपति को भागने पर मजबूर होना पड़ा.
एक अन्य फेसबुक वीडियो संदेश में करीमी कहती हैं, नमस्कार, तालिबान शहर में पहुंच गया है. हम बचते फिर रहे हैं.
इसमें वह दौड़ती हुई दिखाई देती है और दूसरों से बचने का आग्रह करती है.
Last day before women show their hair & face in public says Afghan Filmmaker Sahra karimi desperately in an video as Taliban takes charge of Kabul. pic.twitter.com/VDo1Q5f4YD
— Sameet Thakkar (@thakkar_sameet) August 15, 2021
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीमी, जिन्होंने पहले 2019में वेनिस उत्सव में दिखाई गई गर्भपात के बारे में एक फिल्म हवा, मरियम आयशा का निर्देशन किया था, उनका कहना है कि धूर्त सार्वजनिक छवि के बावजूद, तालिबान का एजेंडा क्रूर रूप से सामंतवादी, पितृसत्तात्मक है और इसमें महिलाओं के अधिकारों को पहले की तरह ही दबाने का काम शामिल है.
करीमी ने कहा, “(तालिबान) महिलाओं के अधिकारों को छीन लेगा. हमारी आवाज को दबाकर हमें घरों दबकर रहने पर मजबूर किया जाएगा और हमारी अभिव्यक्ति को खामोश कर दिया जाएगा. जब तालिबान सत्ता में थे, तब शून्य लड़कियां स्कूल में थीं. तब से, वहां पर अब तक स्कूल में 90लाख से अधिक अफगान लड़कियां हैं. इन कुछ हफ्तों में, तालिबान ने कई स्कूलों को नष्ट कर दिया है और 20लाख लड़कियों को अब फिर से स्कूल से बाहर करने के लिए मजबूर किया गया है.”
उन्होंने कहा, “मेरे देश में एक फिल्म प्रोड्यूसर के रूप में मैंने जो कुछ भी बनाने के लिए इतनी मेहनत की है, उसके गिरने का खतरा है. अगर तालिबान ने कब्जा कर लिया तो वे सभी कलाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे. मैं और अन्य फिल्म प्रोड्यूसर उनकी हिट सूची में अगले स्थान पर हो सकते हैं.”
करीमी सरकारी स्वामित्व वाली अफगान फिल्म की प्रमुख भी हैं.
करीमी का कहना है कि तालिबान का एजेंडा महिलाओं और उदार कला दोनों के दमन को लक्षित करता है.
उन्होंने अपने पत्र में आगे जोर देते हुए कहा, “पिछले कुछ हफ्तों में, तालिबान ने हमारे लोगों का नरसंहार किया है, उन्होंने कई बच्चों का अपहरण किया है, उन्होंने लड़कियों को बाल वधू के रूप में अपने पुरुषों को बेच दिया है. उन्होंने एक महिला की हत्या महज उसकी पोशाक के लिए की है. उन्होंने एक महिला की आंखें फोड़ दी हैं, उन्होंने यातना दी और एक की हत्या कर दी. हमारे प्रिय हास्य कलाकारों में से, उन्होंने हमारे इतिहासकार कवियों में से एक की हत्या कर दी और उन्होंने (अब अपदस्थ) सरकार के लिए संस्कृति और मीडिया के प्रमुख की हत्या कर दी है.”
द काइट रनर पुस्तक के लेखक खालिद होसैनी, जिसे बाद में एक फिल्म के रूप में रूपांतरित किया गया, ने तालिबान अधिग्रहण को एक दुरूस्वप्न कहा.
खालिद ने अमेरिकी सेना देश से वापस जाने के बाद तालिबान के फिर से उभरने पर रोष प्रकट करते हुए ट्विटर पर कहा कि अब अफगानों का डर हमारी आंखों के सामने प्रकट हो रहा है. हम उन लोगों को नहीं छोड़ सकते, जिन्होंने शांति के लिए चालीस साल खपा दिए हैं. अफगान महिलाओं को फिर से बंद दरवाजों और खींचे गए पर्दे के पीछे नहीं होना चाहिए.