काबुल. अफगान शहर शेबागान में अफगान बलों और तालिबान के बीच लड़ाई जारी है, जहां तालिबान ने मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम के घर में आग लगा दी है.
अफगान मीडिया के मुताबिक, तालिबान ने जवाजान प्रांत के शेबागान शहर में प्रवेश किया है. तालिबान ने शेबागान में मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम के घर में आग लगा दी है.
इससे पहले मीडिया सूचना केंद्र के प्रमुख दावा खान मीना पाल की काबुल में बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. तालिबान ने मीडिया सूचना केंद्र के प्रमुख की हत्या की जिम्मेदारी ली है.
‘मजार-ए-शरीफ का शेर’ के नाम से मशहूर मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम ने एक बार फिर उम्रदराज होने के बावजूद तालिबान को मिटाने की कसब खाई है और वे काबुल लौट आए हैं.
दोस्तम से कांपते हैं तालिबान
दोस्तम की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 67 साल की उम्र में भी तालिबान के लड़ाके उनके नाम को सुनते ही कांपने लगते हैं. मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम अफगानिस्तान की लोकतांत्रित सरकार में 29 सितंबर 2014 से 19 फरवरी 2020 तक उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं.
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार , मार्शल अब्दुल राशिद दोस्तम पिछले कई महीनों से तुर्की में अपना इलाज करवा रहे थे. उन्होंने काबुल पहुंचते ही अफगानिस्तान के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपने निजी हितों को दरकिनार करने और देश की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया.
दोस्तम ने कहा कि अफगानिस्तान को जकड़ रहा मौजूदा संकट एक बड़ी साजिश है और देश के राजनीतिक नेता दुश्मनों की तमाम साजिशों को नाकाम कर देंगे. दोस्तम ने तालिबान के साथ लड़ाई में शहीद हुए अफगान सेना के सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी.
दोस्तम ने दी चेतावनी
दोस्तम ने तालिबान के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि यह साजिश कोई छोटी साजिश नहीं है. हम इसे प्रतीकात्मक और छोटे प्रयासों से नहीं रोक सकते, हमें अपने राजनीतिक मित्रों और अपने जनरलों के साथ मिलकर एक बड़ा निर्णय लेने की जरूरत है. हम सेना में अपने अनुभवी कमांडरों और युवाओं से मिलें. कंधार में युद्ध जारी है और स्थिति बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है. हम इस मुद्दे पर बात करेंगे कि हम क्या कर सकते हैं. हमें सभी को प्रोत्साहित करने और उन्हें तालिबान को रोकने के लिए मनोबल प्रदान करने की आवश्यकता है.