आवाज द वॉयस /काबुल
तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने इस बात से इनकार किया है कि जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर अफगानिस्तान में है. उसका कहा कि वह अफगानिस्तान में नहीं पाकिस्तान में है. यह जानकारी अफगानिस्तान की मीडिया आउटलेट टोलो ने अपने एक समाचार में दी है.
यह बात तब सामने आई है जब पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद (श्रमड) के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर की गिरफ्तारी के लिए अफगानिस्तान को एक पत्र लिखा है. पाकिस्तान के समचार ऑउटलेट बोल न्यूज ने सूत्रों के हवाले से कहा कि मौलाना मसूद अजहर शायद अफगानिस्तान के नंगरहार और कनहर इलाकों में मौजूद है.
हालांकि, पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामिक अमीरात के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, जैश-ए-मोहम्मद समूह का नेता यहां अफगानिस्तान में नहीं है. यह एक ऐसा संगठन है जो पाकिस्तान में हो सकता है.
वैसे भी, वह अफगानिस्तान में नहीं है. उन्हांेने कहा कि अभी तक तालिबान से इस बारे में कुछ नहीं पूछा गया है. इसके बारे में समाचारों में सुना है. हमारी प्रतिक्रिया यह है कि यह सच नहीं है.
इसके अलावा, तालिबान के नेतृत्व वाले विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के आरोप काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं. तालिबान के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने कहा, हम सभी पक्षों से बिना किसी सबूत और दस्तावेज के ऐसे आरोपों से बचने का आह्वान करते हैं. इस तरह के मीडिया के आरोप द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
यह रिपोर्ट पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा इस्लामाबाद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित कुछ आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर करने के बाद आई है, जो अब ग्रे सूची से बाहर होने की संभावना की पेशकश कर रही है.
विशेष रूप से, लश्कर ए तैयबा (एलईटी) के ऑपरेशनल कमांडर साजिद मीर पर पाकिस्तान की हालिया कार्रवाई, जिसे वह अब तक मृत घोषित करता रहा है, पाकिस्तान पर एफएटीएफ के लगातार दबाव का परिणाम है.
पाकिस्तान का कहना है कि अजहर पाकिस्तान में मौजूद नहीं है. अफगानिस्तान में होने की संभावना है. पाकिस्तान द्वारा दावा किए जाने के बावजूद कि उसका पता नहीं लगाया जा सकता है,
वह पाकिस्तानी सोशल मीडिया नेटवर्क पर लेख प्रकाशित करना जारी रख रहा है जिसमें जेएम कैडरों को जिहाद में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और काबुल के तालिबान अधिग्रहण की प्रशंसा करते हुए दावा किया जाता है कि तालिबान की जीत कहीं और मुस्लिम जीत के रास्ते खोल देगी.