बामियान में तालिबन ने मशहूर हजारा नेता की मूर्ति हटाई

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 12-11-2021
बामियान में तालिबन ने मशहूर हजारा नेता की मूर्ति हटाई
बामियान में तालिबन ने मशहूर हजारा नेता की मूर्ति हटाई

 

आवाज- द वॉयस/ काबुल

तालिबान ने पूर्व सरकार द्वारा राष्ट्रीय शहीद घोषित हजारा नेता की प्रतिमा को हटाकर उसकी जगह कुरान की प्रतिकृति को रख दिया है.बामियान निवासियों ने गुरुवार को कहा कि इस कदम से हिंसा भड़क सकती है. मूल प्रतिमा में अब्दुल अली मजारी की मूर्ति रखी गई थी, जो कि शिया अल्पसंख्यकों के नेता थे और वह तालिबान के पहले कार्यकाल के दौरान तालिबान के कैदी थे.

अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के तुरंत बाद ग्रेनेड से मूर्ति को हटा दिया गया था. इस घटना को मध्य अफगानिस्तान में शहर के निवासियों ने कट्टर इस्लामवादियों का काम बताया. तालिबान की इस्लाम की सख्त व्याख्या चित्रों और मूर्तिकला में मानव रूप को चित्रित करने से मना करती है. यहां तक कि कई व्यवसायिक समूहों ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद से लोगों की तस्वीरों वाले होर्डिंग और पोस्टर हटा दिए हैं या ढंक दिए हैं.

बामियान में एक नागरिक समाज कार्यकर्ता अब्दुल दानिशयार ने कहा, "कल, उन्होंने मूर्ति को पूरी तरह से हटा दिया और इसे कुरान की प्रतिकृति के साथ बदल दिया." उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को बताया, "वे बामियान से इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, लोग इस पर हिंसक प्रतिक्रिया दे सकते हैं."

मजारी की मूर्ति बामियान के केंद्रीय चौक में खड़ी थी, जहां तालिबान ने 2001में बुद्ध की दो विशाल 1,500साल पुरानी मूर्तियों को उड़ा दिया था. अब मज़ारी के नाम पर चौक का नाम बदलकर "सैन्य सड़क" कर दिया गया है. बामियान प्रांतीय परिषद के सदस्य अब्दुल अली शफाक ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि वह तालिबान के अधिकारियों से बात करेंगे और उनसे इस कदम को वापस लेने का आग्रह करेंगे.

उन्होंने कहा, "यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इससे लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आ सकती है. बामियान में लोग मजारी से प्यार करते हैं, वे आंशिक रूप से नष्ट हुई एक को बदलने के लिए एक नई मूर्ति बना रहे थे." तालिबान विरोधी मिलिशिया नेता मजारी को 1995में तालिबान द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद मार दिया गया था. उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर में स्थानांतरित होने के दौरान अपने एक गार्ड की बंदूक को जब्त करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने उसे गोली मार दी.

2016में अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा उन्हें आधिकारिक तौर पर "अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता के लिए शहीद" नामित किया गया था. मुख्य रूप से शिया हजारा समुदाय, जो अफगानिस्तान के लगभग 3.8करोड़ लोगों का लगभग 10प्रतिशत है, लंबे समय से सुन्नी चरमपंथियों, जैसे कि दाएश समूह, द्वारा जातीय और धार्मिक विभाजन से बंटे देश में सताए जा रहे हैं.