आशा खोसा / नई दिल्ली
तालिबान कमांडर हबीबुर रहमान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान की जेल से तीन साल बाद फरार हो गया था. उसने 2013 में ननगा पर्वत पर एक अभियान पर गए 10 विदेशी पर्यटकों को मार डाला था.
हबीबुर रहमान सामूहिक हत्याकांड में अपने एक साथी के साथ फरार हो गया था.
7 जून को, ‘कमांडर’ हबीबुर रहमान गिलगित में वापस आ गया था, क्योंकि उसने दीमर तहसील के बबसर पोलो मैदान में एक खुला इस्लामी दरबार लगाया था. कमांडर ने पत्रकार को साक्षात्कार में बताया कि वह तालिबान की ओर गिलगित-बाल्टिस्तान और कोहिस्तान का नियाब-सदर (उप प्रमुख) है और कलाश्निकोव धारी चार अधीनस्थों के साथ परेड की थी.
कमांडर ने एक लिखित पाठ पढ़ते हुए कहा कि उसका काम इस्लामी शासन लागू करना और यह सुनिश्चित करना है कि हर कोई इसका धार्मिक रूप से पालन करे.
जैसे ही एक स्थानीय पत्रकार का कमांडर का साक्षात्कार लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उसके बाद पाकिस्तान में इस समूह के पुनरुत्थान के बारे में स्पष्ट तनाव देखा गया. इसे भारतीय और पाकिस्तानी दोनों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था.इस समूह ने कभी खैबर पख्तूनख्वा की स्वात घाटी पर शासन किया था.
रणनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने पाकिस्तान के एक टीवी एंकर को बताया कि यह क्लिप परेशान करने वाली है और ऐसा लग रहा है कि तालिबान अफगानिस्तान की स्थिति के कारण खुद को फिर से स्थापित कर रहा है, जहां यह समूह अधिक क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहा है.
भारतीय टेलीविजन डिबेट्स का जाना-पहचाना चेहरा चीमा ने कहा, “उसका वापस आना और खुली अदालत में बैठना पाकिस्तान के लिए एक चिंताजनक खबर है.”
एक शिक्षाविद परवेस हुडभोय ने कहा कि अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की विचारधारा में कोई अंतर नहीं है और केवल उनके दुश्मन अलग हैं.
उनका कहना है कि इस वीडियो क्लिप ने उन्हें 2017 तक खैबर पख्तूनख्वा में स्वात घाटी में तालिबान के कुल नियंत्रण की याद दिला दी है, जब महिलाओं को स्कूलों में जाने के लिए निशाना बनाया गया था और समूह ने उन्हें नकारने वालों को बेरहमी से मार डाला था.
एक अन्य पत्रकार ने कहा कि वह स्वात में तालिबान द्वारा की गई मारपीट और हत्याओं का गवाह था, जहां एक चौराहे को ‘खूनी चौक’ नाम दिया गया है. यह वह जगह है, जहां तालिबान ने अपने दुश्मनों के शव फेंके थे.
पत्रकारों और विश्लेषकों ने आम तौर पर महसूस किया कि पाकिस्तानी सरकार ने अफगानिस्तान में तालिबान पर नियंत्रण खो दिया है और उस रणनीतिक गहराई को प्राप्त करना संभव नहीं था, जिसे पाकिस्तानी आईएसआई और सेना ने एक बार अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी का समर्थन करने के लिए लक्षित की थी.
पाकिस्तानी विश्लेषकों को तालिबान के साथ भारत के बढ़ते संबंधों पर संदेह है. भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (जो ईरान में अपने समकक्ष और नामित राष्ट्रपति से मिल रहे थे ) की उपस्थिति का हवाला देते हुए, टिप्पणीकारों ने कहा कि पाकिस्तान मुश्किल दौर में पड़ सकता है.
Commander Habib ur Rehman, second in command of Taliban in Gilgit-Baltistan holds an open katchery. And @ImranKhanPTI wants tourism in Gilgit Baltistan. Tourism doesn’t happen just because area is beautiful. Tourists need to return home, alive. These are basic hygiene issues. pic.twitter.com/iDE2xTi0Kc
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) July 8, 2021