तालिबान टीटीपी मुद्दे पर पाकिस्तान को बख्शने को तैयार नहींः रिपोर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 13-01-2022
तालिबान
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इस्लामाबाद. पिछले साल अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान, पाकिस्तान की हिमायत के बदले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर अंकुश लगाने की पाकिस्तान की मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. 

अल अरबिया पोस्ट ने बताया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पाकिस्तान में कहर बरपाने के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग सुरक्षित ठिकाने के रूप में कर रहा है, जिससे पूरे पाकिस्तान में अनुमानित 83,000 लोग हताहत हुए हैं. इस्लामाबाद ने पिछले दिनों कहा था कि अफगान तालिबान के लिए टीटीपी एक ‘टेस्ट केस’ है. अगर काबुल में नए शासक पाकिस्तान की चिंताओं को दूर नहीं कर सकते हैं, तो वे अल कायदा और इस तरह के अन्य समूहों से संबंध काटने के अपने वादे को कैसे पूरा कर सकते हैं और अन्य देशों का कैसे विश्वास अर्जित कर पाएंगे. 

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से बताया कि इस्लामाबाद का मानना था कि प्रतिबंधित टीटीपी समूह से निपटने से अंतरिम सरकार को अन्य आतंकवादी संगठनों से निपटने के संबंध में दुनिया की नजरों में अपनी साख स्थापित करने में मदद मिलेगी.

घटनाक्रम से परिचित अधिकारी ने कहा, ‘हम तालिबान नेतृत्व से टीटीपी को एक परीक्षण मामले के रूप में मानने के लिए कह रहे हैं.’ इस बात पर जोर देते हुए कि अगर तालिबान पाकिस्तान की चिंताओं को दूर नहीं कर सकता है, तो कौन उन पर और अल कायदा और ऐसे अन्य समूहों से संबंध काटने के उनके वादे पर भरोसा करेगा.

पाकिस्तानी अधिकारी ने तालिबान को यह भी चेतावनी दी कि इस्लामाबाद की चिंताओं को दूर नहीं करने से अफगान पक्ष को नुकसान होगा.

यह घटनाक्रम तब सामने आया, जब अफगान तालिबान पाकिस्तान द्वारा उठाए गए टीटीपी (पाकिस्तानी तालिबान) के मुद्दे को हल करने में विफल रहा है.

अफगान तालिबान पाकिस्तान में प्रतिबंधित समूह टीटीपी का समर्थन करता है, जो पेशावर आर्मी स्कूल हमले सहित देश में कई आतंकी हमलों के पीछे रहा है, जिसमें 2014 में सौ से अधिक बच्चे मारे गए थे.