तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को दी क्लीनचिट, कहा-उनके 9 /11 में शामिल होने के सबूत नहीं

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 28-08-2021
तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को दी क्लीनचिट, कहा-उनके 9ध्11 में शामिल होने के सबूत नहीं
तालिबान ने ओसामा बिन लादेन को दी क्लीनचिट, कहा-उनके 9ध्11 में शामिल होने के सबूत नहीं

 

आवाज द वाॅयस / काबुल

तालिबानियों का खुंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा है. उन्होंने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उड़ाने के मामले में बिन लादेन को क्लीन चिट दे दी. इस बारे में तालिबान ने कहा कि ‘इसके कोई सबूत नहीं‘ कि मारे गए अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन 11सितंबर, 2001 के आतंकवादी हमलों में शामिल थे.

तालिबान, जिसने अफगानिस्तान में अपने पिछले शासन में कई वर्षों तक ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह दी थी, ने 9 / 11के हमलों के बाद खूंखार आतंकवादी को अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था.

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक साक्षात्कार में एनबीसी न्यूज को बताया, ‘‘जब ओसामा बिन लादेन को अमेरिकियों ने मुद्दा बना, तब वह अफगानिस्तान में था. इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वह 9 /11 में शामिल था.

उन्होंने कहा, ‘‘अब, हमने संकल्प लिया है कि किसी के खिलाफ अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे.‘‘2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावरों और पेंटागन पर बिन लादेन द्वारा किए गए हमलों के बाद, राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने तालिबान से ओसामा को सौंपने की मांग की थी. इसके अलावा आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर को कहा था.

जब तालिबान ने इससे इनकार कर दिया तो बुश शासन ने, यूएस वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हवाई हमले किए और अफगान उत्तरी गठबंधन के साथ मिलकर इस्लामी शासन को गिरा दिया. इसके बाद दो दशक तक अमेरिका के नेतृत्व मंे नाटो फौज अफगानिस्तान में डटी रही. अब 11सितंबर तक उसे अफगानिस्तान छोड़ना है.

उल्लेखनीय है कि ओसामा बिन लादेन ही 2001में संयुक्त राज्य अमेरिका पर 9/11के आतंकी हमलों के पीछे वैश्विक आतंकी समूह अल कायदा का प्रमुख और दिमाग था.वह 2011 में एबटाबाद के गैरीसन शहर में अमेरिकी नौसेना के हाथों सैन्य अभियान में मारा गया था.

कई सैन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान आतंकी प्रजनन स्थल बन जाएगा.पिछले साल दोहा में हस्ताक्षरित यूएस-तालिबान समझौते के अनुसार, तालिबान ने अल कायदा से संबंध तोड़ने की कसम खाई है.

हालांकि 2001 के बाद से यह ग्रुप काफी कमजोर हुआ है. इसके लड़ाके अफगानिस्तान में बने हुए हैं.पिछले महीने, संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान में कई जगहों पर दाएश और अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों से खतरा बढ़ रहा है. इसके अलावा शांति प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता और सुरक्षा स्थिति नाजुक बनी हुई है.

इनपुटः एएनआई न्यूज एजेंसी