कोलंबो. कभी जमात-ए-इस्लामी का चैबीस वर्षों तक नेतृत्व करने वाले रशीद हज्जुल अकबर को यहां गिरफ्तार कर दिया गया. इसके साथ ही श्रीलंका सरकार ने यहां इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. दो दिन पहले श्रीलंकाई सरकार ने बुर्का पर प्रतिबंध लगाने और करीब एक हजार इस्लामिक स्कूलों एवं मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है. इसके साथ कट्टरवादियों के खिलाफ कार्रवाई भी तेज कर दी है.
पुलिस प्रवक्ता डीआईजी अजित रोहना का कहना है कि इस्लामिक संगठन के 60 वर्षीय पूर्व नेता को आतंकवाद, अन्वेषण प्रभाग (टीआईडी) ने कोलंबो के उपनगर डेमाटागोडा से गिरफ्तार किया है.उसपर देश में चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप है. गिरफ्तारी के बाद से लगातार पूछताछ की जा रही है.
रोहाना का दावा है कि गिरफ्तार इस्लामिक नेता श्रीलंका में वहाबीवाद और जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा था. इससे संबंधित उसका एक लेख पत्रिका में भी प्रकाशित हो चुका है.श्रीलंका के डेली न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में ईस्टर संडे के दिन बम विस्फोट की जांच में इसका नाम आ चुका है.
तब से वहाबीवाद पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है. उल्लेखनीय है कि 21अप्रैल, 2019 में नौ आत्मघाती हमलावरों ने श्रीलंका के होटलों, चर्चों धमाके किए थे, जिसमें 270लोग मारे गए थे. कहते हैं कि इस घटना को इस्लामिक स्टेट समूह के प्रति निष्ठा रखने वाले स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह ने किए थे.
इस धमाके में 500 से अधिक घायल हुए थे. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सारथ वेरासेकेरा ने संसद को बताया था कि देश में इस्लामी चरमपंथियों को रोकने के लिए मदरसों और बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है.
उन्होंने बताया किईस्टर रविवार के हमले में राष्ट्रीय जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार आतंकवादी हमलों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार सभी को गिरफ्तार किया जा रहा है. मंत्री ने कहा कि देश में आत्मघाती हमलों को अंजाम देने के लिए लंका के खुफिया अधिकारियों ने पिछले साल जहरान हाशिम द्वारा प्रशिक्षित महिला विंग को के बारे में जानकारी इकट्ठी की थी.
वेरासेकेरा ने संसद को बताया कि आतंकवादी जांच विभाग एवं खुफिया सेवाओं ने देश में सक्रिय अन्य चरमपंथी संगठनों का पता लगाने और गिरफ्तारियां करने में कामयाबी हासिल की है.