जेद्दा. वैलेंटाइन डे यानी प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन. दुनिया भर के युवा इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं, कई मुस्लिम देश ऐसे भी हैं, जहां आज भी वैलेंटाइन डे पर पाबंदी है. सऊदी अरब उनमें से एक था, लेकिन अब यहां वैलेंटाइन डे को मनाने की पाबंदी हटा ली गई है.
दुनिया के ज्यादातर देशों में वैलेंटाइन डे धूमधाम से मनाया जाता है. कुछ देशों में इस दिन शादी करने का रिवाज है.
सऊदी अरब जैसे पारंपरिक देश में, वेलेंटाइन डे को ‘हराम’ माना जाता था, जिसका अर्थ धर्म के खिलाफ होता है. अगर कोई इसे मनाते हुए भी पाया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाता है.
अब 2018में पहली बार सऊदी अरब में प्रमुख धार्मिक विद्वान शेख अहमद कासिम अल-गमदी के कारण वेलेंटाइन डे मनाया गया.
शेख अहमद कासिम ने अपने बयान में वेलेंटाइन डे को प्यार का त्योहार करार दिया. अब सऊदी अरब में बुर्का पहनी महिलाओं को वेलेंटाइन डे पर फुटपाथों और शॉपिंग मॉल में खुलेआम अपने प्रेमियों के लिए फूल और उपहार खरीदते देखा जा सकता है.
हालांकि, इस दिन को अभी भी कई देशों में मना किया जाता है.
गौरतलब है कि 14फरवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे, ईसाई शहीदों के सम्मान में, सेंट वेलेंटाइन के नाम पर एक ईसाई अवकाश के रूप में शुरू हुआ. एक रोम का वेलेंटाइन था, एक पुजारी जो 269में शहीद हो गया था, और दूसरा, टार्नी का वेलेंटाइन, एक बिशप जो 273में शहीद हो गया था.
496में, पोप गैलिसियस ने रोम के वेलेंटाइन के सम्मान में वेलेंटाइन डे की स्थापना की. यह माना जाता है कि रोमांस और प्यार, चॉकलेट, कार्ड और लाल गुलाब के साथ, उसका रिश्ता बहुत बाद में विकसित हुआ.
यह 14वीं और 15वीं शताब्दी में इंग्लैंड में शुरू हुआ, जाहिरा तौर पर वसंत के पक्षियों से जुड़े लोककथाओं से. सेंट वेलेंटाइन डे और इसके प्यार और रोमांस से जुड़े कई मिथक और कहानियां हैं.