काबुल. अफगानिस्तान में आर्थिक संकट लगातार बढ़ रहा है. स्थानीय व्यापारियों ने ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों से आयातित तरबूजों पर उच्च शुल्क लगाए जाने की शिकायत की है.
यूं तो अफगान रोजी-रोटी की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं और फल उनके दस्तरखान से दूर हो चुके हैं. लेकिन गर्मियों के रमजान में तरबूज एक उपयोगी और आवष्यक फल समझा जाता है. ज्यादा टैक्स के कारण वह भी उनकी थाली से दूर होता दिख रहा है.
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल के सबसे बड़े फलों के बाजारों में से एक माने जाने वाले द फ्रूट मार्केट में बेचे जाने वाले आयातित तरबूजों की मांग में कमी के साथ उच्च टैरिफ ने कीमतों में वृद्धि की है. व्यापारियों के साथ यूनियन ऑफ फ्रेश फ्रूट एंड वेजिटेबल ने वित्त मंत्रालय से मदद मांगी है, जिसमें उनसे फलों पर टैरिफ में कटौती करने का आग्रह किया गया है, विशेष रूप से तरबूज पर, ताकि व्यापारी ग्राहकों को तरबूज को सुविधाजनक दर पर बेच सकें.
एक तरबूज व्यापारी एहसानुल्लाह का हवाला दिया, ‘‘आयात पर उच्च टैरिफ है. व्यापारियों को वित्तीय नुकसान होगा. लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, और वे महंगे उत्पादों की पेशकश नहीं कर सकते हैं.
उत्तेजित व्यापारियों को जवाब देते हुए, वित मंत्रालय के सदस्य सदस्य अहमद वली हकमल ने कहा, ‘‘हमने बाजारों में अपना सर्वेक्षण किया है. हमने बाजार के आधार पर कीमत आवंटित की है. यह सामान्य है कि टैरिफ में थोड़ी वृद्धि हुई है. लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है.’’
कर शुल्क में वृद्धि के कारण काबुल में फलों के कारोबार में पिछले वर्ष की तुलना में नाटकीय रूप से गिरावट आई है. चूंकि अफगानिस्तान अपने पड़ोसी देशों से भारी मात्रा में ताजे फलों का आयात करता है, इसलिए टैरिफ में अचानक वृद्धि से बाजारों में फलों की कीमतों में तेजी आई है.