नई दिल्ली.
तालिबान शासित अफगानिस्तान में अशांत स्थिति को हल करने के लिए ईरान को मॉस्को समर्थित तिकड़ी में भारत व ईरान को शामिल कर एक बड़ी कूटनीतिक पहल की गई है. सूत्रों ने बताया कि तिकड़ी की पहली बैठक मास्को-प्रारूप वार्ता के इतर बुधवार को शुरू हुई.
बैठक में रूस, चीन, भारत, ईरान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. रूस, अमेरिका और चीन ने द्वारा पहले गठित ट्रोइका को अब भंग कर दिया गया है.
अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने और यूक्रेन युद्ध ने रूस को तिकड़ी की संरचना को बदलने के लिए राजी किया है. इससे पहले इंडिया नैरेटिव से बात करते हुए राष्ट्रपति पुतिन के विशेष सलाहकार जमीर काबुलोव ने बताया कि मॉस्को ने काबुल में एक राजनयिक उपस्थिति भारत के फैसले का स्वागत क्यों किया, और अफगानिस्तान के हालात को संभालने के लिए एक क्षेत्रीय समूह में नई दिल्ली की उपस्थिति की क्या आवश्यकता है.
रूसी राजनयिक ने समझाया कि मास्को अफगानिस्तान के संदर्भ में क्षेत्रीय समाधान की तलाश कर रहा था. उन्होंने कहा कि रूस के अलावा भारत, चीन, ईरान और पाकिस्तान अफगानिस्तान में प्रमुख खिलाड़ी हैं. भारत के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी जेपी सिंह मास्को प्रारूप व ट्रोइका बैठक में भाग ले रहे हैं.
एक सूत्र ने कहा, मॉस्को का प्रारूप बहुत बोझिल है, इसलिए ट्रोइका बैठक के लिए भारत और ईरान को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया ताकि केंद्रित चर्चा हो सके. यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस के प्रति भारत के समान ²ष्टिकोण ने मास्को को अफगानिस्तान के आसपास क्षेत्रीय कूटनीति में नई दिल्ली की उपस्थिति को प्राथमिकता देने के लिए राजी किया.