पाकिस्तान महिला पत्रकारों के लिए बेहद खतरनाक

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 09-07-2021
प्रतीकात्मक छवि
प्रतीकात्मक छवि

 

इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए खतरनाक जगह है और महिला पत्रकारों के लिए तो और भी खतरनाक है.

वहां न केवल महिला पत्रकारों के साथ गाली-गलौज की जाती है, बल्कि उनसे नफरत भी की जाती है और उनका शारीरिक शोषण भी किया जाता है.

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020के अनुसार, पाकिस्तान 180देशों में से 145वें स्थान पर है. जहां पत्रकारों की सुरक्षा नहीं है.

एक सर्वे के मुताबिक, पाकिस्तान में 2013से 2019के बीच 33पत्रकारों की हत्या की गई. रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि प्रिंट मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वालों की तुलना में अधिक निशाना बनाया जाता है.

महिलाओं के प्रति कठोर रवैये के कारण पाकिस्तान में महिला पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और भी अधिक है.

लेखिका महमल खालिद पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति पर लिखती हैं कि महिलाओं को आए दिन तरह-तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि उनकी निजता का खुलासा करने के लिए उन्हें धमकी भी दी जाती है और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता है.

पाकिस्तान में पत्रकारों को भी ऑनलाइन धमकाया जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जो समाज में अराजकता का कारण बन सकती है.

जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में लैंगिक असमानता के चलते वहां की महिला पत्रकारों को अभी भी कई दिनों तक संघर्ष करना पड़ता है.

हाल के दिनों में पाकिस्तान में भी सरकार के खिलाफ कोरोना वायरस के बारे में लापरवाही से लिखने को लेकर महिलाओं पर निशाना साधा गया है. इस बात का खुलासा पिछले साल सरकार के खिलाफ लिखने वाली महिला पत्रकारों ने किया था.

उनका कहना है कि वह जनता से खुलकर बात नहीं कर सकती हैं. उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19ए का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक रूप से बोलने से भी रोक दिया गया था.

एक पत्रकार ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया गया. पाकिस्तान में, सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को सेना और आईएसआई खुफिया से धमकियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जाता है.