खैबर पख्तूनख्वा. पाकिस्तान में संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (एफएटीए) के कबाइली बुजुर्ग खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के साथ प्रांत विलय को उलटने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसा लोगों की सहमति के बिना किया गया था.
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, सदस्य नेशनल असेंबली (एमएनए) मुफ्ती अब्दुल शकूर और पूर्व संघीय मंत्री हमीदुल्ला जान ने रविवार को कहा कि फाटा विलय कबाइली लोगों की सहमति के बिना किया गया था. अब्दुल शकूर ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) शुरू से ही फाटा-केपी विलय के खिलाफ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हम इसका विरोध करना जारी रखेंगे, चाहे वह बैठकों के रूप में हो या जिरगा के रूप में.’
उन्होंने यह भी कहा कि कबाइली व्यवस्था जिरगाओं की एक प्रणाली है, जिसमें सभी को न्याय और अधिकार मिलते हैं, लेकिन यह भी कहा कि अन्य क्षेत्रों में यह व्यवस्था नहीं है.
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, हमीदुल्ला जान ने मीडिया को बताया कि फाटा विलय कबाइली लोगों के खिलाफ एक धोखाधड़ी थी.
उन्होंने कहा, ‘हम इस विलय को बर्दाश्त नहीं कर सकते, क्योंकि यह दमन की एक व्यवस्था है, जो हम पर बलपूर्वक थोपी गई है, लेकिन हम इसे किसी भी रूप में अपने आदिवासी भाइयों पर थोपने की अनुमति नहीं देंगे. हम इसके खिलाफ सभी कानूनी उपाय करेंगे.’
उन्होंने कहा कि वजीरिस्तान से बाजौर तक के आदिवासी अधिकार फाटा विलय के खिलाफ जिरगा करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमारी आदिवासी व्यवस्था पुलिस और न्यायपालिका प्रणाली से काफी बेहतर है, क्योंकि इसमें सभी का अपना अधिकार है.’ उन्होंने सरकार से विलय को तुरंत वापस लेने की मांग की.
पाकिस्तान ने तत्कालीन फाटा की अलग स्थिति को समाप्त कर दिया और इसे 2018 में खैबर पख्तूनख्वा में मिला दिया.