मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली-पेरिस
क्या ‘टेरर फंडिंग’ में बुरी तरह फंसे पाकिस्तान के ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में जाने की संभावना प्रबल हो गई है? इस मामले में आई एक रिपोर्ट तो यही इशारा कर रही है. रिपोर्ट की मानें, तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने नई पैंतरेबाजी आजमानी शुरू कर दी है.
इसके तहत वह न केवल ‘बेचारा’ साबित करने के दुष्प्रचार में लगा है, भारत को भी बदनाम करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. यह अलग बात है कि इस हड़बड़ी में वह इस्लामिक स्टेट जैसे खंुखार आतंकवादी संगठन से भारत का संबंध होने की मूर्खता कर बैठा.
एफएटीएफ में इस महीने के अंतिम सप्ताह में निर्णय आना है कि पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा जाए या आतंकवादियों पर लगाम लगाने में अब तक फुस्स साबित होने पर उसे काली सूची में डाल दिया जाए. काली सूची में डाले जाने पर पाकिस्तान को दुनिया भर से अलग-थलग कर दिया जाएगा और तमाम आर्थिक सहायता मिलनी बंद हो जाएंगी.
बहरहाल, पाकिस्तान के इस नए पैंतरे का खुलासा किया है एंटी-टेररिज्म टास्क फोर्स (सीपीएफए) के राजनीतिक और विदेशी मामलों के केंद्र ने. इसके लिए विशेष रिपोर्ट तैयार करने वाले रोनाल्ड दुचेमिन ने लिखा, ‘‘इस्लामाबाद ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में लगा है.
इस रणनीति के तहत बलोचिस्तान में क्वेटा के निकट 11 शिया अल्पसंख्यक खदान मजदूरों की इस्लामिक स्टेट द्वारा निर्मम हत्या करने का ठीकरा भारत पर फोड़ने का प्रयास किया गया. इमारान सरकार ने कहा कि भारत ने आईएस से मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया है, जबकि पूरी दुनिया को पता है कि भारत अपने यहां आईएस के पांव पसारने को कितनी शिद्दत से जुटा हुआ है.”
यही नहीं, हाल में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने प्रेस वार्ता कर विश्व बिरादरी के समक्ष यह दर्शाने का प्रयास किया था कि पाकिस्तान में भारत की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. उसने भारत की खुफिया एजेंसी और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ कुछ मैसेज पकड़े जाने की भी दलील दी थी. अलग बात है कि भारत ने अगले ही दिन उसे बेबुनियाद करार दे दिया था. इसके साथ प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा शांतिदूत बनकर भारत से संबंध बनाने का भी नाटक कर रहे हैं.
सीपीएफए की रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पाकिस्तान आतंकवादी समूहों और उनके वित्तीय नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय नाटक कर टास्क फोर्स को धोखा देने की कोशिश कर रहा है.आतंकवादी समूह खुलेआम अपना काम कर रहे हैं. जिन आतंकवादी लीडरों को गिरफ्तार करने का प्रपंच किया गया है, वे अपने घरों में कैद होने का नाटक करते हुए मजे कर रहे हैं.
जुलाई 2019 में पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा एवं उसके खुले मंच फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के लीडर हाफिज सईउ, उसके दाएं हाथ अब्दुल रहमान मक्की, जफर इकबाल, आमिर हमजा सहित दो दर्जन आतंकियों को वित्त पोषण मामले में गिरफ्तार किया था. मगर कुछ दिनों बाद फरवरी 2020 में एफएटीएफ की सुनवाई के बाद उनमें से अधिकांश को कोर्ट के जरिए छोड़ दिया गया. इसी तरह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी एवं मुंबई हमले का मास्टर माइंड जकीउर रहमान लकवी भी मजे कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि जून, 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पाकिस्तान के एशिया पैसिफिक ग्रुप की ओर से चिंता प्रकट की गई थी. इस मामले में भारत ने विशेष तौर से आपत्ति जताई थी. जिसके आधार पर यूएनएस की 1267सदस्यीय समिति ने पाकिस्तान से इस बारे में रिपोर्ट मांगी.
संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर फरवरी 2018में अमेरिका ने अपने करीबी यूरोपीय सहयोगियों की मदद से समिति में प्रस्ताव लाकर पाकिस्तान को एफएटीएफ की ‘ग्रे सूची‘ में रखने की सिफारिश कर दी. तब से पाकिस्तान लिस्ट में यथावत बना हुआ है. आरोप है कि 25से अधिक सुधारात्मक बिंदुओं पर कार्रवाई करने की बजाए पाकिस्तान ग्रे सूची से निकलने के नए-नए पैंतरे ढूंढ रहा है.
चूंकि अब तक उसकी ओर से आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए अब की बार उसके काली सूची में जाने का खतरा बढ़ गया है. पिछले एक वर्ष में पाकिस्तानी आतंकवादियों को भारत की सीमा में घुसपैठ कराने को रिकार्ड चार हजार से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन करने और हाल में अफगानिस्तान और ईरान में पाकिस्तानपरस्त आईएस द्वारा बड़े पैमाने पर खूनी घटना को अंजाम देने पर इसकी संभावना और गहरा गई है.
रोनाल्ड दुचेमिन की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान कार्रवाई करने की बजाए भारत पर दोष मढ़कर खुद को पीड़ित होने का खेल खेल रहा है. यही नहीं पाकिस्तान, भारत पर एफएटीएफ के राजनीतिकरण का भी आरोप लगा रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पाकिस्तानी रणनीतिकार कार्रवाई से बचने के लिए प्रचार के माध्यम से विश्व बिरादरी पर अनावश्यक दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
जबकि पाकिस्तान का यह ‘गेम प्लान’ एफएटीएफ के समझ में आ गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि कागज पर तो पाकिस्तान प्रभावशाली कार्रवाई करता दिख रहा है, पर जमीनी हकीकत कुछ और है. ऐसे में इस महीने के आखिरी सप्ताह में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में शायद ही उसकी पैंतरेबाजी काम आए. हर बार पाकिस्तान अपने मित्र देशों चीन, मलेशिया, तुर्की के समर्थन से कार्रवाई से बचता रहा है. इस बार उसकी संभावना भी कम ही दिखती है.
इनपुटः आईएनएस