पाकिस्तानः इमरान खान सरकार में बढ़ती महंगाई से निकला जनता का दम

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
इमरान खान सरकार में बढ़ती महंगाई से निकला जनता का दम
इमरान खान सरकार में बढ़ती महंगाई से निकला जनता का दम

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली / कराची
 
27 वर्षीय असदुल्लाह, जो रेहड़ी पर जूते बेचा करते हैं, ने शुक्रवार को आग लगा कर खुदकुशी कर ली. कारण कि वह बढ़ती महंगाई से तंग आ गए थे. उनके रिश्तेदार गनी ने इसके लिए देश की आर्थिक स्थिति को जिम्मेदार ठहराया. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि गरीब लोग खुद को जिंदा रखने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं.
 
वे अपना मामूली खर्च भी वहन नहीं कर पा रहे हैं.गनी ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी और माता-पिता पैसे की मांग करते हैं, लेकिन मेरे पास किराया देने के लिए भी पैसे नहीं हैं, जबकि गांवों में पैसा भेजना अब संभव नहीं है.‘‘
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पांच अन्य लोगों को भी जानता हूं जो महंगाई से तंग आ चुके हैं और आत्महत्या करने को तैयार हैं. सरकार को गरीबों पर दया करनी चाहिए और महंगाई कम करनी चाहिए.‘‘
 
ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में तेजी से बिगड़ती आर्थिक स्थिति के साथ, प्रधानमंत्री इमरान खान पर दबाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है.  देश में अशांति फैल रही है, क्योंकि देश सबसे खराब और रिकॉर्ड तोड़ महंगाई का सामना कर रहा है. पाकिस्तान दुनिया के चैथे सबसे महंगे देशों में से एक बन गया है.
 
अब चीनी के दाम पेट्रोल से भी ज्यादा बढ़ गए हैं. सत्ता में आने से पहले इमरान खान ने भ्रष्टाचार मिटाने और लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का वादा किया था. नए पाकिस्तान के निर्माण का नारा लगाया था.
 
इसके बजाय, पिछले महीने सऊदी अरब की यात्रा के बाद, उन्होंने घोषणा की कि उन्हें रियाद से तीन अरब सहायता मिली है. पिछले हफ्ते अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर पिछली सरकारों को पिछली गलतियों और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार ठहराया.
 
आर्थिक टिप्पणीकार खुर्रम हुसैन का कहना है कि प्रधानमंत्री की 120 अरब रुपये के पैकेज की घोषणा पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. इससे आम आदमी को कोई फायदा नहीं होगा. इमरान खान पर दबाव बढ़ेगा क्योंकि आने वाले दिनों में ईंधन, चीनी और अन्य वस्तुओं की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है.
 
उन्होंने कहा कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. देश में बेरोजगारी चरम पर है. वेतन और मजदूरी पुरानी दर पर दी जा रही है. बिजली और तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. तीन साल पहले चीनी की कीमत 3,000 रुपये प्रति 50 किलो थी, लेकिन अब यह 7,000 रुपये है.
 
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वेतन में मामूली वृद्धि से कीमतों में तेज वृद्धि हुई है.
 
उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई को नियंत्रित करने में बुरी तरह विफल रही है. तीन साल पहले वह आसानी से 60,000 रुपये में अपना घर चला सकते थे, लेकिन अब उसे 90,000 रुपये मिलते हैं. फिर भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.