पाकिस्तानः कहीं तख्तापलट न हो जाए !

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
पाकिस्तानः कहीं तख्तापलट न हो जाए!
पाकिस्तानः कहीं तख्तापलट न हो जाए!

 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
 
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए चीफ की नियुक्ति को लेकर यहां बवंडर मचा है. इस मामले में सेना प्रमुख बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच जबरदस्ती ठनी हुई है. ऐसे में पाकिस्तान में चर्चा गरमाने है कि कहीं दोनों के बीच का झगड़ा तख्ता पलत की शक्ल न ले ले. पाकिस्तान में यदि ऐसा होता है तो कोई नई बात नहीं होगी.
 
पाकिस्तान में हमेशा सरकार पर सेना हावी रही है. पीटीआई प्रमुख इमरान खान पर विपक्ष का आरोप है कि उन्होंने सेना प्रमुख बाजवा की मदद से लोगों के ‘वोट पर डाका’ डाला है. उन्हें पीएम की कुर्सी तक बावजा ने पहुंचाया है. कई मौकों पर दोनों का याराना झलकता भी रहा है. मगर पाकिस्तानी सेना अपने अहंकार के आगे किसी को टिकने नहीं देती. आईएसआई चीफ की नियुक्ति ने इसे फिर साबित किया है.
 
चीफ की नियुक्ति से इन दिनों पाकिस्तान में हड़कंप मचाया हुआ है. इसके दो मुख्य पात्र प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा  अब आमने-सामने आ गए हैं. कमर बाजवा की मुहर लगने के 12 दिन बाद भी इमरान खान ने नए आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम को हरी झंडी नहीं दी है.
 
इसी के साथ आर्मी चीफ बाजवा इमरान खान को आंखें दिखा रहे हैं. हैरानी की बात है कि इमरान खान ने ही जनरल कमर बाजवा का सेवा विस्तार दिया है. अब पाकिस्तानी मीडिया में और राजनीति को समझने वाले कह रहे हैं कि देश में जल्द ही मार्शल लॉ लग सकता है. सरकार को हटाकर सेना देश संभाल सकती है. इसके पीछे उनके तुर्क इतिहास में छिपे हैं.
 
पहले भी हो चुका है ऐसा

22 साल पहले 12 अक्टूबर 1999 को सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. कहा जाता है कि आईएसआई के मुखिया की नियुक्ति को लेकर अब भी दोनों के बीच मतभेद हैं.
 
तख्तापलट के दौरान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जिया-उद-दीन बट को भी गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान में यह पहला मौका था जब किसी आईएसआई प्रमुख को गिरफ्तार किया गया था.
 
खून के रिश्ते 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त पाकिस्तानी सेना में इस बात का मजाक उड़ाया गया था कि नवाज शरीफ के जनरल जिया-उद-दीन बट के साथ खून के रिश्ते हैं. इसलिए उन्होंने उसे आईएसआई की भरोसेमंद स्थिति में डाल दिया.
 
दूसरी ओर परवेज मुशर्रफ अपने खास लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान को खुफिया एजेंसी का मुखिया बनाना चाहते थे, लेकिन नवाज शरीफ के एकतरफा फैसले पर मुशर्रफ ने खून का घूंट पी लिया और उन्हें सबक सिखाने की योजना बनाने लगे. करीब एक साल बाद उसने बदला लिया.
 
 मुशर्रफ को नहीं था  बट पर भरोसा 

परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब ‘‘इन द लाइफ ऑफ फायर‘‘ में आईएसआई प्रमुख जनरल जिया-उद-दीन पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने पहले दिन से ही आईएसआई से महत्वपूर्ण फाइलें और योजनाएं वापस ले ली. कश्मीर और अफगानिस्तान की जिम्मेदारी तत्कालीन चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज को सौंपी गई थी.
 
इमरान-बाजवा में बढ़ रहा तनाव

आईएसआई चीफ की नियुक्ति को लेकर इमरान और बाजवा में इस कदर तनाव बढ़ गया है कि दोनों के बीच एक दौर की बैठक होने के बावजूद टकराव शांत नहीं हुआ है. इमरान की दलील है कि आईएसआई चीफ की नियुक्ति में बाजवा ने उन्हें विश्वास में नहीं लिया, जबकि बाजवा का कहना है कि सेना अपने फैसले लेने में स्वतंत्र है.
 
इसमें सरकार की दखलंदाजी नहीं चाहिए. यानी इस प्रकरण से यह साबित होता है कि पाकिस्तान में भले सरकार किसी की हो, हुकूमत की असली बागडोर सेना के ही हाथ में होती है.