पाकिस्तानः जानिए पीएचडी करने वाले पहले सिख का दर्दे-दिल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-02-2022
पाकिस्तानः जानिए पीएचडी करने वाले पहले सिख का दर्दे-दिल
पाकिस्तानः जानिए पीएचडी करने वाले पहले सिख का दर्दे-दिल

 

लाहौर. ननकाना साहिब के 42 वर्षीय सिख शिक्षक बाबा गुरु नानक सरदार कल्याण सिंह कल्याण ने पीएचडी पूरी कर ली है. वह पाकिस्तान के इतिहास में डॉक्टरेट पूरा करने वाले पहले सिख नागरिक हैं. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के ओरिएंटल कॉलेज के स्टाफ रूम में अपनी थीसिस का सफलतापूर्वक बचाव किया. इस अवसर पर विशेष रूप से ननकाना साहिब से लाहौर आए दर्जनों सिखों की आंखों में खुशी के आंसू बह रहे थे और उन्हें गले लगाकर बधाई दी.

दुनिया भर में सिख समुदाय पहले पाकिस्तानी सिख की पीएचडी के पूरा होने का जश्न मना रहा है. कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा भारत से भी बधाई के टेलीफोन मिल रहे हैं. सोशल मीडिया पर कल्याण सिंह के दोस्तों की तरफ से भी बधाई का सिलसिला जारी है. सरदार कल्याण को दुनियाभर के पंजाबी रेडियो और टीवी चौनलों से इंटरव्यू के लिए रिक्वेस्ट मिल रही हैं. ननकाना साहिब के गुरुद्वारों में धन्यवाद कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. उनके अनुसार, भारतीय मीडिया ने भी आश्चर्यजनक रूप से उनकी सफलता की खबरों को सकारात्मक तरीके से रिपोर्ट किया है.

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सरदार कल्याण सिंह कल्याण चौधरी मुहम्मद सरवर, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान के राज्यपाल के साथ


पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ नियाज अहमद अख्तर ने गुरुवार को उन्हें चाय पर आमंत्रित किया. पंजाब यूनिवर्सिटी इन्हें डिग्री जारी करने के नियमों को अंतिम रूप दे रही है. सहायक प्रोफेसर सरकारी कॉलेज विश्वविद्यालय, लाहौर में पंजाबी के सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं.

उन्होंने प्रख्यात पंजाबी शोधकर्ता प्रो. डॉ. नवीद शहजाद की देखरेख में पीएचडी शोध प्रबंध पूरा किया है. उन्होंने ‘गुरु नानक की शिक्षाओं में मानवतावाद का दर्शन’ पर एक शोध प्रबंध लिखा है. उन्होंने अपने 600 पन्नों के शोध प्रबंध का नाम अपनी मां के नाम पर रखा.

कल्याण सिंह पंजाबी पत्रिका लेहरान के संपादक भी थे और उन्होंने कुछ समय के लिए रेडियो के लिए काम किया. कार दुर्घटना में घायल हुए सरदार कल्याण का कहना है कि बेनजीर भुट्टो के प्रति उनकी बहुत श्रद्धज्ञ थी और वह भी उनसे बहुत प्यार करती थीं.

उच्च शिक्षा की यात्रा आसान नहीं है. डीडब्ल्यू के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, कल्याण सिंह ने कहा कि वह अब यूएस, यूके या यूरोप में एक विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टरेट करने का इरादा रखते हैं. अपने आगामी शोध प्रयासों में, उन्होंने यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या समाजवाद पंजाबी लोगों की आर्थिक कठिनाइयों को कम करने में मदद कर सकता है.

सरदार कल्याण सिंह कल्याण अब यूएसए, यूके या यूरोप के किसी विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टर करने का इरादा रखते हैं.

एक सवाल के जवाब में सरदार कल्याण सिंह ने कहा कि उन्हें पीएचडी पूरी करके बहुत खुशी हुई, लेकिन उनके मुताबिक उच्च शिक्षा का सफर आसान नहीं था. ‘‘जब मैं शासकीय गुरु नानक कॉलेज में पढ़ रहा था, तो वहां के प्राचार्य ने शिक्षकों की राजनीति के कारण पंजाबी विषय को कॉलेज से हटा दिया था. इसलिए मुझे अपनी शिक्षा एक निजी छात्र के रूप में जारी रखनी पड़ी. मुझे इस बात का दुख है कि बाबा गुरु नानक की नगरी में अभी तक पंजाबी भाषा की बहाली नहीं हो पाई है.’’

अल्पसंख्यक अभी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं

सरदार कल्याण सिंह कल्याण का कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन उन्हें अभी भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

पुस्तकालय में पुस्तकों को देखते व रखते समय लगातार धड़कता रहता है, ताकि लापरवाही में कोई चूक न हो. एक अल्पसंख्यक विद्वान के लिए कई विशिष्ट विषयों पर शोध करना आसान नहीं है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शोध के दौरान एक समस्या यह थी कि यहां गुरु नानक के बारे में ज्यादा सामग्री उपलब्ध नहीं थी और उन्हें दुनिया के अन्य देशों से किताबें आयात करनी पड़ती थीं.

गुरुद्वारा डेरा साहिब में सिखों का एक पुस्तकालय हुआ करता था, लेकिन बहुत पहले यह गुस्साए प्रदर्शनकारियों के प्रकोप का शिकार हो गया.

अब सरकार दयाल सिंह लाइब्रेरी और पंजाब पब्लिक लाइब्रेरी के गुरुमुखी सेक्शन को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है.

सिख समुदाय के साथ विशेष व्यवहार सरदार कल्याण के कई चाहने वाले न केवल संसद में हैं, बल्कि पाकिस्तान में भी प्रमुख पदों पर हैं. मेजर हरचरण सिंह पाकिस्तानी सेना, इंस्पेक्टर अमृत सिंह रेंजर्स, इंस्पेक्टर नरिंदर सिंह मोटरवे पुलिस, डॉ. मेम्पल सिंह किंग एडवर्ड यूनिवर्सिटी, पवन सिंह गवर्नर हाउस लाहौर में सेवारत हैं.

उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया कि पाकिस्तान में सिखों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, लेकिन कहा कि सिखों ने उसी प्रणाली में शिक्षित होने के कारण आर्थिक रूप से पाकिस्तानी समाज में कुछ स्थान हासिल किया है. उन्हें कहा, ‘‘मुझे लगता है कि केवल शिक्षा ही अल्पसंख्यकों को आगे ले जा सकती है. सभी अल्पसंख्यकों को एक ही मॉडल का पालन करना चाहिए.’’

सरदार कल्याण के कई रिश्तेदार न केवल संसद में हैं, बल्कि पाकिस्तान में भी प्रमुख पदों पर हैं. हमारी बेटियां शिक्षा और रोजगार के मामले में बहुत पीछे हैं. कई माता-पिता जबरन धर्म परिवर्तन के डर से उन्हें बेदखल करने से हिचकते हैं. अल्पसंख्यकों के लिए पारिवारिक कानून न होने के कारण भी कई समस्याएं हैं. सिख विवाह अधिनियम 2016 में पारित किया गया था और हिंदू विवाह अधिनियम 2017 में पारित किया गया था, लेकिन इसके व्यवसाय के नियम अभी तक लागू नहीं हुए हैं.’’

सिख समुदाय की एक महत्वपूर्ण मांग

सरदार कल्याण सिंह किसी तरह अतीत में लौटना चाहते हैं, जब समाज में सहिष्णुता थी और मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यकों से खुश थी और सभी एक-दूसरे के दुखों में सहभागी थे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आज भी एक मुस्लिम गुरु बशीर याद है, जो बचपन में मुझे अपनी साइकिल पर स्कूल ले जाते थे. आज ऐसे उदाहरण मिलना आसान नहीं है.’’ कल्याण सिंह कल्याण की शादी हो चुकी है. वह तीन बेटियों और एक बेटे के पिता हैं.