पाकिस्तानः खैबर पख्तूनख्वा के विलय के खिलाफ इस्लामाबाद मार्च का ऐलान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 28-12-2021
प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र

 

इस्लामाबाद. संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (एफएटीए) के विलय विरोधी गुट ने अपनी मांगों के लिए इस्लामाबाद की ओर लंबे मार्च के साथ क्षेत्र में रैलियों की एक श्रृंखला की घोषणा की है. इस गुट की मांग है कि फाटा के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के विलय को उलटा जाए और उसकी पिछली स्थिति बहाल की जाए.

द फ्रंटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी बुजुर्गों और मलिकों का एक बड़ा ‘फाटा नेशनल जिरगा’ सोमवार को इस्लामाबाद में इकट्ठा हुआ और अपनी मांगों को दोहराया और आने वाले हफ्तों के दौरान केपी में फाटा के विलय के खिलाफ एक आंदोलन अभियान शुरू करने का संकल्प लिया.

रिपोर्ट के अनुसार घोषित जनजातीय राष्ट्रीय जिरगा में जफर खान आदम खेल, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सईद नजीर, बिस्मिल्लाह खान, रहत अफरीदी, शाकिर अफरीदी और अन्य सहित कई आदिवासी नेता शामिल थे. नेताओं ने मई 2018में 25वें संवैधानिक संशोधन और फाटा के खैबर पख्तूनख्वा में विलय के खिलाफ मीडिया के साथ अपनी भविष्य की रणनीति साझा की.

वक्ताओं ने दावा किया कि फाटा राष्ट्रीय जिरगा सात आदिवासी एजेंसियों और पूर्व के छह जनजातीय क्षेत्रों के आदिवासी नेताओं का एक पारंपरिक मंच है. 

द फ्रंटियर पोस्ट ने बताया कि वक्ताओं के अनुसार, शांति, एकता और विकास फाटा नेशनल जिरगा के मूलभूत सिद्धांत हैं.

जफ्फर खान आदम खेल के अनुसार, फाटा का विलय एक असंवैधानिक अधिनियम था, जिसे क्षेत्र के लोगों की इच्छा के अनुसार उलट दिया जाना चाहिए.

द फ्रंटियर पोस्ट के अुनसार, वक्ताओं ने कहा कि फाटा नेशनल जिरगा ने सरकार को अपने लक्ष्यों और मांगों से अवगत करा दिया है और सरकार को क्षेत्र के लोगों की इच्छा के अनुसार कार्य करना चाहिए, अन्यथा जिरगा ने भविष्य की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की है, जिसके तहत पहले चरण के दौरान विभिन्न जिलों के मुख्यालयों में स्थानीय रैलियों का आयोजन किया जाएगा. जबकि, मार्च 2022में उनके अभियान के दूसरे चरण के दौरान इस्लामाबाद की ओर लांग मार्च का आयोजन किया जाएगा.

आदिवासी नेताओं ने दावा किया कि उन्हें इलाके के लोगों का पूरा समर्थन है और सरकार को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए.