पाकिस्तान, कहीं पर्दे के पीछे से तालिबान सरकार चलाने की फिराक में तो नहीं !

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
पाकिस्तान
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मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / काबुल
 
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद की काबुल यात्रा और वहां उनकी सरगर्मियों ने एक तरह से यह साबित कर दिया कि अफगानिस्तान सरकार के तख्तापलट में तालिबान के साथ पाकिस्तानी सेना का महत्वपूर्ण रोल था.
 
अब पाकिस्तान पंजशेर में न केवल तालिबान लड़ाकों के साथ मिलकर अफगान फोर्स के आखिरी जत्थे को निपटाने में सहयोग दे रहा है, बल्कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान में व्याप्त अव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की तस्वीर चमका कर तमाम तरह के सहयोग जुटाने में खास भूमिका अदा करना चाहता है. या यूं कहें कि पाकिस्तान तालिबान सरकार को अपनी उंगलियों पर नचाने की फिराक में जुट गया है.
 
हालांकि, आईएसआई प्रमुख ने कल काबुल पहुंच कर कहा था कि वह वहां पाकिस्तानी राजदूत को कुछ जानकारी देने आए हैं. मगर बाद में उनकी गतिविधियों ने तमाम कहानी कह दी. पाकिस्तान के सबसे बड़े मीडिया हाउस ‘जंग’ की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने काबुल पहुंचकर तालिबान शूरा के निमंत्रण पर नेतृत्व के साथ बैठकें, पाक-अफगान आर्थिक और व्यापार संबंधों, सुरक्षा, सीमा की स्थिति, हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण, डूरंड लाइन अफगान शरणार्थियों की दुर्दशा पर बातचीत की.
 
इसके अलावा आतंकी संगठनों को हालात का फायदा नहीं उठाने देने में अहम भूमिका निभाने पर भी चर्चा की. ‘जंग’ की रिपोर्ट कहती कि उन्होंने  तालिबान के नेताओं को बताया कि कैसे पाकिस्तान उसका विश्वसनीय दोस्त है.
 
शांति के लिए उसके समर्थन की जरूरत है. यही नहीं अफगानिस्तान में चल रहे राहत कार्यों में सहयोग पर महानिदेशक इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने काबुल में तालिबान के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आर्थिक और व्यापार संबंधों सहित महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की. सीमा की स्थिति, समग्र सुरक्षा के मुद्दे पर भी बात हुई.
 
इसपर भी विचार किया गया कि दंगाइयों और आतंकवादी संगठनों को कैसे स्थिति का लाभ नहीं उठाने दिया जाए. पाकिस्तानी राजदूत ने डीजी आईएसआई से भी मुलाकात की. बैठक के दौरान, निकासी से संबंधित मुद्दों और अफगानिस्तान से पारगमन, पाकिस्तान के माध्यम से विदेशी और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कर्मचारियों के प्रत्यावर्तन और इस संबंध में लंबित आवेदनों पर भी चर्चा की गई. जनरल फैज हमीद की एक तस्वीर भी सामने आई जिसमें वह हाथ में चाय का प्याला पकड़े हुए हैं.
 
सूत्रों के अनुसार, तालिबान के अफगान शूरा के निमंत्रण पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने काबुल का दौरा किया. वह तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान की राजधानी का दौरा करने वाले पहले उच्च पदस्थ अधिकारी हैं.
 
दूसरी ओर, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने विदेशी मीडिया को बताया कि यात्रा का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था. उसने कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय से संपर्क किया था. जबीहुल्ला मुजाहिद के अनुसार, इस यात्रा में हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण और डूरंड लाइन पर अफगान शरणार्थियों की दुर्दशा पर चर्चा शामिल थी.
 
काबुल के सेरेना होटल में, कुछ विदेशी पत्रकारों ने यात्रा के बारे में पाकिस्तान के सैन्य खुफिया प्रमुख से सवाल किया, जिस पर जनरल फैज हमीद ने कहा कि वह अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए काम करेंगे. यानी आईएसआई प्रमुख से यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान पर्दे के पीछे से तालिबान सरकार चलाने की फिराक में है !