पाकिस्तान: सेना प्रमुख बाजवा के आगे झुके इमरान, नदीम अंजुम को बनाया आईएसआई प्रमुख

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-10-2021
प्रधानमंत्री इमरान खान ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया
प्रधानमंत्री इमरान खान ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया

 

प्रधानमंत्री इमरान खान ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली

पाकिस्तान में एक बार फिर साबित हुआ कि सरकार से बड़ी सेना है. देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ की नियुक्ति को लेकर सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच छिड़ा रार यूं तो शांत हो गया.
 
इसके साथ यह भी साबित हो गया कि पड़ोसी पाकिस्तान में सरकार चाहे किसी पार्टी की हो, उसे पर्दे के पीछे से चलाती पाकिस्तानी सेना ही है. तमाम विवादों के बाद आखिरकार इमरान खान को बाजवा की पसंद के लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई प्रमुख की नियुक्त को लेकर अधिसूचना जारी करनी पड़ी.
 
इससे पहले इमरान खान ने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि बगैर उन्हें विश्वास में लिए सेना प्रमुख ने अंजुम को आईएसआई प्रमुख बना दिया. जबकि इसके जवाब में कमर जावेद बाजवा ने कहा कि इससे पहले किसी भी सरकार ने सेना के मामले में दखल देने की कोशिश नहीं की.
 
यह सेना का विशेषाधिकार है. इस मामले ने बाद में इतना तूल पकड़ा कि इमरान खान और बाजवा के बीच एक दौर की वार्ता के बाद भी विवाद नहीं सुलझा. तब आशंका जताई जाने लगी कि सेना इमरान खान का तख्तापलट सकती है.
 
ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की नियुक्त को माना जा रहा है कि इमरान खान सरकार गिरने के डर से बाजवा के आगे झुक गए. वैसे, भी इनदिनों महंगाई के सवाल पर विपक्ष और जनता इमरान खान सरकार के खिलाफ सड़कांें पर है.
 
बहरहाल,पाकिस्तान सेना और सरकार के बीच इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अगले प्रमुख की नियुक्ति को लेकर लगभग तीन सप्ताह के विवाद के बाद, प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को अगले आईएसआई चीफ के रूप में नियुक्त कर दिया.
 
पीएम कार्यालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. नियुक्ति 20 नवंबर, 2021 से इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के महानिदेशक के रूप में प्रभावी होगी.‘‘
 
लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद 19 नवंबर तक आईएसआई के प्रमुख बने रहेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम पहले कराची कोर के कमांडर थे. उन्हें सितंबर 2019 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया था. पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 78 वें लॉन्ग कोर्स और पंजाब रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम ने कमांड और स्टाफ कॉलेज क्वेटा के कमांडेंट के रूप में भी काम किया.
 
नए डीजी आईएसआई ने पहले बलूचिस्तान फ्रंटियर कॉर्प्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के रूप में कार्य किया है और हंगू, कुर्रम एजेंसी में एक ब्रिगेड की कमान संभाली है. वह ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से स्नातक हैं.
 
नए आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके पूर्व विशेष सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा आमने-सामने आ गए थे.
 
इमरान खान और जनरल कमर बाजवा के बीच मतभेद ?

इससे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके पूर्व विशेष दूत जनरल कमर बाजवा नए आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम की नियुक्ति को लेकर आमने-सामने आ गए थे. कमर बाजवा की मुहर लगने के 11 दिन बाद भी इमरान खान ने नए आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम की नियुक्ति को हरी झंडी नहीं दी.
 
इस के साथ आर्मी चीफ बाजवा इमरान खान को आंखें दिखा रहे थे. हैरानी की बात यह है कि इमरान खान ने ही जनरल कमर बाजवा का सेवा विस्तार बढ़ाया था. अब पाकिस्तानी मीडिया और राजनीति को समझने वाले कह रहे हैं कि देश में जल्द ही मार्शल लॉ लगाया जा सकता है.
 
सरकार को हटाकर सेना संभाल सकती है. इसके पीछे उनके तर्क इतिहास में छिपे है. 22 साल पहले 12 अक्टूबर 1999 को सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
 
कहा जाता है कि आईएसआई के मुखिया की नियुक्ति को लेकर अब भी दोनों के बीच मतभेद हैं. तख्तापलट के दौरान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जिया-उद-दीन बट को भी गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान में यह पहला मौका था जब किसी आईएसआई प्रमुख को गिरफ्तार किया गया था.
 
आईएसआई प्रमुख-नवाज शरीफ के बीच खून के रिश्ते

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त पाकिस्तानी सेना में इस बात का मजाक उड़ाया गया था कि नवाज शरीफ के जनरल जिया-उद-दीन बट के साथ खून के रिश्ते थे. इसलिए उन्होंने उसे आईएसआई की भरोसेमंद स्थिति में डाल दिया.
 
दूसरी ओर परवेज मुशर्रफ अपने खास लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान को खुफिया एजेंसी का मुखिया बनाना चाहते थे, लेकिन नवाज शरीफ के एकतरफा फैसले पर मुशर्रफ ने खून पी लिया और उन्हें सबक सिखाने की योजना बनाने लगे. करीब एक साल बाद उसने बदला लिया.
 
परवेज मुशर्रफ को बट पर भरोसा नहीं था

परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब ‘‘इन द लाइफ ऑफ फायर‘‘ में आईएसआई प्रमुख जनरल जिया-उद-दीन पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने पहले दिन से ही आईएसआई से महत्वपूर्ण फाइलें और योजनाएं वापस ले ली. कश्मीर और अफगानिस्तान की जिम्मेदारी तत्कालीन चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज को सौंपी गई थी.
 
समाचार एजेंसी यूएनआई इनपुट