पाकिस्तान ने इमरान खान पर देशद्रोह का आरोप तय करने को समिति बनाई

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 15-07-2022
पाकिस्तान ने इमरान खान पर देशद्रोह का आरोप तय करने को समिति बनाई
पाकिस्तान ने इमरान खान पर देशद्रोह का आरोप तय करने को समिति बनाई

 

इस्लामाबाद. शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान कैबिनेट ने शुक्रवार को एक समिति के गठन को मंजूरी दे दी, जो इस बात पर विचार करेगी कि क्या पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ देशद्रोह की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए, जिसमें अध्यक्ष इमरान खान भी शामिल हैं.

जियो टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देश की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि कैबिनेट ने कानून मंत्री आजम नजीर तरार के नेतृत्व में एक समिति के गठन को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर पूर्व नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के फैसले से संबंधित एक स्वतरू संज्ञान मामले में सुप्रीम कोर्ट के विस्तृत फैसले का स्वागत किया.

शीर्ष अदालत के अनुसार, इमरान खान ने संविधान का उल्लंघन किया था. इससे पहले भी, संघीय मंत्री ने संकेत दिया है कि इमरान खान को देश के संविधान को निरस्त करने के लिए देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अतिरिक्त, न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल ने देखा कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, तत्कालीन प्रधानमंत्री खान, तत्कालीन राष्ट्र सभा अध्यक्ष असद कैसर, पूर्व उप-अध्यक्ष सूरी और पूर्व कानून मंत्री फवाद चौधरी ने अपने अधिकार का उल्लंघन किया था और इसे सांसदों पर छोड़ दिया था. तय करें कि उनके कृत्यों पर अनुच्छेद 6 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं.

ब्रीफिंग के दौरान औरंगजेब ने कहा, ‘‘कानून मंत्री आजम नजीर तरार की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जो संघीय कैबिनेट की अगली बैठक में अपने सुझाव पेश करेगी.’’

संविधान के प्रासंगिक प्रावधान जिनके आधार पर खान देशद्रोह के आरोपों का सामना कर सकते हैं, उनमें अनुच्छेद 5(1) शामिल है जिसके तहत ‘राज्य के प्रति वफादारी और संविधान और कानून का पालन करना’ प्रत्येक नागरिक का एक अनिवार्य दायित्व है.

याचिकाओं में शामिल एक अन्य लेख अनुच्छेद 6 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो बल के उपयोग से संविधान को निरस्त करने या निरस्त करने का प्रयास करता है, वह उच्च राजद्रोह का दोषी होगा, यह कहते हुए कि देशद्रोह के कार्य को सर्वोच्च न्यायालय सहित किसी भी अदालत द्वारा मान्य नहीं किया जा सकता है.