न्यूजीलैंडः मस्जिद हमले को रोकने में मदद करने वालों को राष्ट्रीय सम्मान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-12-2021
न्यूजीलैंडः मस्जिद हमले को रोकने में मदद करने वालों को राष्ट्रीय सम्मान
न्यूजीलैंडः मस्जिद हमले को रोकने में मदद करने वालों को राष्ट्रीय सम्मान

 

न्यूजीलैंड के दो बहादुरों को देश के सबसे महान वीरता पुरस्कार से नवाजा गया. क्राइस्टचर्च मस्जिद पर 2019के आतंकवादी हमले के दौरान श्वेत वर्चस्व के सशस्त्र समर्थक से लड़ने के लिए ये पुरस्कार दिए गए हैं.

इस हमले में 51मुस्लिम उपासकों की मौत हो गई थी. हमले में मारे गए नईम राशिद और बचे हुए अब्दुल अजीज को मार्च 2019में अत्यधिक खतरे की स्थिति में फायरिंग के दौरान उनके महान और साहसी कार्यों के लिए न्यूजीलैंड क्रॉस से सम्मानित किया गया है.

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कहा कि इस पदक से पहले केवल दो लोगों को सम्मानित किया गया था. यह न्यूजीलैंड विक्टोरिया क्रॉस के लिए एक गैर-लड़ाकू सम्मान था. दो पुलिस अधिकारियों सहित आठ अन्य लोगों को भी बंदूकधारी ब्रेंटन ट्रेंट को पकड़ने के लिए बहादुरी के पदक प्राप्त हुए, क्योंकि उसनेएक कार में घटनास्थल से भागने की कोशिश की थी.

प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कहा कि सम्मानित लोगों की कार्रवाई ने मरने वालों की संख्या को बढ़ने से रोका हो सकता है. उन्होंने कहा, न्यूजीलैंड के इन लोगों द्वारा दिखाया गया साहस निस्वार्थ और असाधारण था. इस दिन उन्होंने जो कदम उठाए, उसकी हम गहराई से सराहना करते हैं और हम उनके आभारी हैं.‘’

अर्ध-स्वचालित हथियारों से लैस ट्रेंट ने पहले क्राइस्टचर्च की अल-नूर मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पर हमला किया और फिर एक लिनवुड आराधनालय में गया और नरसंहार को स्ट्रीम करने के लिए लाइव हो गया.

राशिद अल-नूर मस्जिद में था और कंधे में गोली लगने के बावजूद उसने ट्रेंट को जबरन गिराकर निहत्था करने की कोशिश की.

तब राशिद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसका बेटा तलहा भी मारा गया था, लेकिन उसकी हरकतों ने हमलावर का ध्यान भटका दिया, जिससे कई लोग भाग गए.

पुरस्कार प्राप्त करने वाले अजीज को हमले का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह लिनवुड की ओर जा रहा था.

अजीज ने हमलावर पर एक क्रेडिट कार्ड भुगतान मशीन फेंकी और फिर उसे चुनौती दी, ताकि वह लिनवुड जाने के बजाय पार्किंग में उसकी कार का पीछा करे.

 

एक न्यायाधीश ने पिछले साल ट्रेंट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, उसके कार्यों को ‘कायरतापूर्ण’ और ‘अमानवीय’ बताया था. न्यूजीलैंड के इतिहास में पहली बार टोरेंट को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.